It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

थोक महंगाई में नरमी के संकेत, नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक - 0.32 प्रतिशत पर पहुंची
By Lokjeewan Daily - 16-12-2025

देश में थोक महंगाई के मोर्चे पर दबाव अब कुछ कम होता दिख रहा है। बता दें कि नवंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई दर बढ़कर -0.32 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि अक्टूबर में यह -1.21 प्रतिशत थी। मौजूद जानकारी के अनुसार, यह बढ़ोतरी महंगाई में तेजी नहीं बल्कि डिफ्लेशन यानी कीमतों में लगातार गिरावट की रफ्तार के धीमे पड़ने का संकेत है।

गौरतलब है कि अक्टूबर में थोक महंगाई पिछले 12 महीनों के सबसे निचले स्तर पर थी। नवंबर का आंकड़ा यह बताता है कि उस गहरे दबाव से अब अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बाहर आती नजर आ रही है। इस सुधार की सबसे बड़ी वजह प्राथमिक वस्तुओं, खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट की गति का कम होना रहा है, जो बीते कई महीनों से तेज सुधार के दौर से गुजर रही थीं।

 

खाद्य वस्तुएं अब भी थोक महंगाई पर बोझ बनी हुई हैं, लेकिन उनका असर पहले जितना तीखा नहीं रहा है। सब्जियों की कीमतें सालाना आधार पर अब भी 20 प्रतिशत से ज्यादा नीचे हैं, हालांकि अक्टूबर में यह गिरावट करीब 35 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। कीमतों में यह स्थिरता संकेत देती है कि बाजार में सप्लाई और मांग के बीच संतुलन धीरे-धीरे बन रहा है।

 

अनाज की बात करें तो वे नवंबर में पहली बार नकारात्मक दायरे में चले गए हैं। गेहूं की कीमतें, जो साल के शुरुआती महीनों में ऊंचे स्तर पर थीं, अब मामूली गिरावट दिखा रही हैं। वहीं दालों की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है, जिसका कारण बेहतर उपलब्धता और सरकारी खरीद का दबाव कम होना माना जा रहा है।

हालांकि गैर-खाद्य प्राथमिक वस्तुओं ने कुछ हद तक थोक महंगाई को सहारा दिया है। तिलहन की कीमतों में नवंबर में तेज उछाल देखा गया, जो सप्लाई से जुड़ी चुनौतियों और वैश्विक बाजार के संकेतों से जुड़ा है। इसके चलते इस श्रेणी में महंगाई लगभग दो अंकों के करीब पहुंच गई है। खनिजों की कीमतों में भी मजबूती दर्ज की गई है, खासकर निर्माण और औद्योगिक उपयोग से जुड़ी वस्तुओं में।

अन्य सम्बंधित खबरे