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नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता बरकरार
By Lokjeewan Daily - 17-10-2024

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से नागरिकता कानून की धारा 6ए  को संवैधानिक बताया है। 4 जजों ने फैसले का समर्थन किया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्यों को बाहरी खतरों से बचाना केंद्र सरकार का कर्तव्य है। आर्टिकल 355 के तहत कर्तव्य को अधिकार मानना नागरिकों और अदालतों को आपातकालीन अधिकार देगा, जो विनाशकारी होगा।

किसी राज्य में अलग-अलग जातीय समूहों का होना आर्टिकल 29(1) का उल्लंघन नहीं है। याचिकाकर्ता को यह साबित करना होगा कि एक जातीय समूह अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा नहीं कर सकता क्योंकि वहां दूसरा जातीय ग्रुप भी रहता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर किसी स्थिति का उद्देश्य से उचित संबंध है, तो उसे अस्थायी रूप से अनुचित नहीं ठहराया जा सकता। भारत में नागरिकता देने का एकमात्र तरीका रजिस्ट्रेशन नहीं है और धारा 6ए को सिर्फ इसलिए असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इसमें रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया नहीं दी गई है। इसलिए मेरा भी निष्कर्ष है कि धारा 6ए वैध है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह राज्यों को बाहरी आक्रमण से बचाए। आर्टिकल 355 के तहत कर्तव्य को अधिकार मानना नागरिकों और अदालतों को आपातकालीन अधिकार देगा, जो विनाशकारी होगा। उन्होंने आगे कहा कि किसी राज्य में अलग-अलग जातीय समूहों का होना अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं है। याचिकाकर्ता को यह साबित करना होगा कि एक जातीय समूह अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा नहीं कर सकता क्योंकि वहां दूसरा जातीय समूह भी रहता है।

क्या है पूरा मामला

सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन के तहत जोड़ा गया था। इस धारा में कहा गया कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश समेत दूसरे क्षेत्रों से जनवरी 1966 और मार्च 1971 से पहले आए हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

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