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जम्मू । जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून को लेकर सोमवार को हुए हंगामे के बाद बयानबाजी का दौर जारी है। भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने वक्फ कानून को लेकर विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा कि विपक्ष विकास के मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार नहीं है। भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने कहा, "जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोनवार को जो हुआ है, वैसा नहीं होना चाहिए। विधानसभा को ठीक और सुचारू रूप से काम करने दिया जाना चाहिए। वे (विपक्ष) विकास के मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। इनको बेबुनियाद एक मुद्दा मिल गया है, इसलिए वे अपने आकाओं को दिखाना चाहते हैं कि हमने यहां भी इसे उठाया है। स्पीकर ने भी साफ कर दिया है कि सदन रूल के मुताबिक ही चलेगा। भाजपा इस (वक्फ) मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में किसी भी तरह की चर्चा होने नहीं देगी।"
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने कहा, "विधानसभा के 25 सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव लाया है और हमारा मानना है कि यह एक बहुत ही संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है। मुझे लगता है कि इस पर चर्चा होनी चाहिए। स्पीकर के पास देश भर में कई उदाहरण हैं, जहां इस तरह की चर्चाएं हुई हैं और हमें उम्मीद है कि वह स्थिति की गंभीरता को समझेंगे और हमें इस पर बोलने की अनुमति देंगे।"
पीडीपी विधायक वहीद पारा ने कहा, "हम सर्वसम्मति से वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव की मांग कर रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा की मदद कर रही है। मुख्यमंत्री को सदन में होना चाहिए था। उन्होंने ट्यूलिप गार्डन में उसी अल्पसंख्यक मंत्री की अगवानी करना पसंद किया, जो इस विधेयक को पेश करने के लिए जिम्मेदार हैं।"
विधायक वहीद पारा ने आगे कहा, "यह भाजपा की मदद करने और वक्फ संशोधन विधेयक को सामान्य बनाने का एक कदम है, जिसे भाजपा और इस सरकार द्वारा पारित किया गया है। एक ऐसी सरकार, जिसके पास इस सदन में 50 से 60 मुस्लिम विधायक हैं। अगर वे वक्फ विधेयक का विरोध नहीं कर सकते, संशोधन के खिलाफ खड़े नहीं हो सकते, तो वे यहां किसलिए हैं?"
वहीं, सज्जाद गनी लोन ने जम्मू-कश्मीर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार है और उनका ही स्पीकर है। वक्फ कानून को लेकर वो कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं।"
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हुए हंगामे पर भाजपा विधायक आरएस पठानिया ने कहा, "यह एक विडंबना है और जम्मू-कश्मीर की संसदीय राजनीति में अब तक का सबसे निचला स्तर है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ताधारी पार्टी होने के बावजूद सदन की कार्यवाही को बाधित कर रही है। वे सदन के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं और हम इस बात की सराहना करते हैं कि स्पीकर ने भी हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने स्पीकर की भी नहीं सुनी। मुख्यमंत्री ने खुद कहा है कि मामला विचाराधीन है, जो ठीक है, यह उनका दृष्टिकोण है। मैं संशोधन मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।"
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