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मोती डूंगरी गणपति के प्रिय ‘सर्टिफिकेट’ वाले लड्डू
By Lokjeewan Daily - 05-09-2024

भगवान गणेश जी का लड्डुओं से प्रेम किसी से छिपा नहीं है। देशभर के मंदिरों में भक्त उन्हें रिझाने के लिए तरह-तरह के स्वादिष्ट लड्डूओं का भोग लगाते हैं। ऐसे ही जयपुर में विराजमान मोती डूंगरी गणेश को रिझाने के लिए 251 किलो के विशेष लड्डुओं का भोग लगाया जाता है।

ये राजस्थान के एकमात्र लड्डू हैं, जिन्हें भोग-प्रसादी में शुद्धता के लिए सर्टिफिकेट मिला हुआ है। इन लड्डुओं का इतिहास 140 साल पुराना है। आम दिनों में लड्डू सामान्य साइज में ही बनते हैं। लेकिन साल में एक बार गणेश चुतर्थी के मौके पर ये विशाल लड्डू बनाए जाते हैं।

इन्हें बनाने के लिए 150 हलवाइयों की टीम को तीन दिन लगते हैं। लड्डुओं को शेप देने के लिए खासतौर से लोहे के सांचे बनवाए जाते हैं। लड्डुओं में किसी प्रकार के कलर या केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता।

जयपुर में मोती डूंगरी गणेश मंदिर में विराजमान गणेश प्रतिमा 1761 में जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह (प्रथम) की रानी के पैतृक गांव मावली (गुजरात) से लाई गई थी। 1761 से पहले भी इस प्रतिमा का इतिहास 500 सालों से ज्यादा पुराना माना जाता है। सेठ जय राम पालीवाल की देखरेख में इस मंदिर का निर्माण कार्य हुआ था।

मंदिर के मौजूदा महंत कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि मोती डूंगरी गणेश जी के प्रिय इन लड्डुओं का इतिहास 140 साल पुराना है। मेरे परदादा पंडित शिवनारायण महाराज ने इनकी शुरुआत की थी। परिवार को 1884 में मंदिर के महंत की सेवा सौंपी गई थी। तब पहली बार गणेश जी को भोग लगाने के लिए मंदिर परिसर में स्पेशल लड्डू तैयार करवाए गए थे।

कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि वे खुद 40 साल से मंदिर के महंत हैं। आज भी उसी पारंपरिक विधि और शुद्धता के साथ ये लड्डू तैयार होते हैं।

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