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जनाना अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही में गर्भ में पल रहे 25 सप्ताह के बच्चे की जान ले ली। डॉक्टरों ने रूटीन सोनोग्राफी के बाद परिजनों को कहा था कि बच्चा मर चुका है। जल्द डिलीवरी नहीं की तो मां को भी खतरा है। प्री-डिलीवरी में बच्चा जीवित था, जिसने महज 4 घंटे में दम तोड़ दिया। जयपुर मेट्रो-प्रथम की स्थायी लोक अदालत ने इसे गंभीर चिकित्सकीय सेवादोष, घोर लापरवाही व अमानवीय कृत्य माना है।
लोक अदालत ने कहा कि डॉक्टर्स की लापरवाही से प्रार्थिया का शिशु न केवल फलने-फूलने से रह गया, बल्कि अप्राकृतिक तौर पर इंजेक्शन देने व प्री डिलीवरी से उसकी मृत्यु हो गई। इसके लिए विपक्षी जिम्मेदार व उत्तरदायी हैं। इसके लिए अदालत ने एमएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, कंट्रोलर और जनाना अस्पताल अधीक्षक पर 5.20 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। अदालत ने हर्जाना राशि 30 दिन में प्रार्थिया को भुगतान करने के आदेश दिए हैं। लोक अदालत के अध्यक्ष मनोज कुमार सहारिया व सदस्या सीमा शार्दुल ने यह आदेश कालवाड़ रोड निवासी बीना मीना व कमल कुमार के प्रार्थना पत्र पर दिया।
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