
It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
जयपुर। सांगानेर विधानसभा क्षेत्र में बी-2 बाईपास स्थित श्रीराम कॉलोनी की भूमि अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला भूखण्डधारियों के पक्ष में आने के बावजूद, कुछ स्वार्थी तत्वों और भू-माफियाओं द्वारा लगातार झूठे तथ्य पर खबरें छपवाकर शासन, प्रशासन और आम जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि न्यायालयों ने भूखण्डधारियों के हक को सही ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की RHB की याचिकाः इस मामले का केंद्रीय बिंदु उच्च न्यायालय के CSA No. 435/2002 (CWP No. 3064/1996) का निर्णय है, जिसमें भूखण्डधारियों को JDA से पट्टा लेने का आदेश दिया गया था और हाउसिंग बोर्ड की अपील खारिज कर दी थी। राजस्थान आवासन मंडल ने इस निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में SLP No. 6944/2010 दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ( मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति K.M. जोसेफ) ने 09.10.2018 को स्पष्ट निर्णय दिया था कि “ राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई वैध या कानूनी आधार नहीं है। अतः विशेष अनुमति याचिका एवं सभी लंबित आवेदन खारिज किए जाते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने न केवल राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की अपील खारिज की, बल्कि आवासन मंडल को जयपुर सिटी सिविल जज न्यायालय में जमा राशि को ब्याज सहित वापस लेने का भी आदेश दिया। इस निर्णय से यह स्थापित हो गया कि भूखण्डधारियों के पक्ष में उच्च न्यायालय का आदेश सही था।
पृथ्वीराज नगर योजना जैसा मामलाः जयपुर की पृथ्वीराज नगर योजना का भी कुछ इसी तरह का मामला। इसमें भी अवाप्तशुदा जमीनों पर बसी कॉलोनियों के नियमन के लिए लंबे समय तक आंदोलन और मुकदमेबाजी चली थी। आखिर में इस योजना का सरकार को नियमन करके भूखंडधारियों को पट्टे जारी करने पड़े थे। इस मामले में भी उच्च न्यायालय ने स्वः प्रेरणा से संज्ञान लेते हुए भूमि अधिग्रहण को विधिसम्मत माना था। हालांकि, PRN योजना में भूखण्डों का नियमन विकास शुल्क की कई गुना अधिक दर पर किया गया था।
भू- माफिया फैला रहे हैं भ्रम, ताकि सस्ती जमीनें मिल सकेंः सुप्रीम कोर्ट के खारिज आदेश के बावजूद, हाल ही में कुछ समाचार माध्यमों में यह भ्रामक रूप से प्रकाशित किया गया कि “सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य पर अंतरिम रोक लगाई और वीडियोग्राफी के निर्देश दिए।” यह दावा पूरी तरह से गलत है। असलियत यह है कि भूखण्डधारियों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, राजस्थान आवासन मंडल ने पुनः उच्च न्यायालय में नई रिट याचिकाएँ (CW/15576/2019 और CW/13563/2019) दायर की हैं।
इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक नया निर्माण कार्य न करने और यथास्थिति (Status Quo) बनाए रखने का आदेश दिया है। ये याचिकाएं अभी भी लंबित चल रही हैं। यह दुष्प्रचार इसलिए किया जा रहा है ताकि भू-माफिया गलत तथ्यों और झूठी खबरों के माध्यम से न्यायालय, शासन और जनता को भ्रमित कर सकें। उनका एकमात्र उद्देश्य भूमि को "सस्ते दरों पर" खरीदकर योजना को अवरुद्ध करना है। भूखण्डधारियों को ऐसे भ्रामक प्रचार से बचने और आधिकारिक न्यायिक फैसलों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
पृथ्वीराज नगर की तर्ज पर नियमन करे सरकारः नगरीय विकास से जुड़े विशेषज्ञों औऱ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सांगानेर विधानसभा क्षेत्र में श्रीराम कॉलोनी समेत करीब 85-86 कॉलोनियों में आशियाना उजड़ने पर तलवार लटक रही है। व्यापक जनहित को देखते हुए सरकार इस पर कैबिनेट में फैसला ले और पृथ्वीराज नगर योजना की तर्ज पर इन कॉलोनियों के डवलपमेंट का स्पेशल प्लान तैयार करके सभी भूखंडधारियों को नियमानुसार पट्टे जारी करे। ताकि हजारों परिवारों को मानसिक और आर्थिक रूप से राहत मिल सके।
राज्य के सभी शहरी निकायों में 3 से 7 नवम्बर तक लगेंगे ‘शहरी सेवा . . .
2025-10-30 17:24:22
पारदर्शी मॉनिटरिंग और गुणवत्तापूर्ण सड़कों से सशक्त होगा ग्रामीण . . .
2025-10-30 12:17:37
जन-जन तक पहुंचाएं एक भारत-श्रेष्ठ भारत तथा आत्मनिर्भर भारत का संद . . .
2025-10-30 12:12:28
गौ सेवा के लिए समर्पित होकर करें काम : भजनलाल शर्मा . . .
2025-10-30 17:26:41
पृथ्वीराज नगर की तर्ज पर स्पेशल डवलपमेंट प्लान बनाकर भूखंडधारियों . . .
2025-10-30 12:14:55
नए वेटरनरी कॉलेज के लिए अगले माह लेंगे ऑनलाइन आवेदन . . .
2025-10-29 13:04:58