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अमेरिका में 17 साल की एक चीयरलीडर ब्रायना मार्टिन को एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी पॉपकॉर्न लंग्स से पीड़ित पाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रायना पिछले तीन वर्षों से वेपिंग की आदत से जूझ रही थी, और अचानक सांस लेने में तकलीफ होने पर जब उसे अस्पताल ले जाया गया, तो जांच में सामने आया कि वह ब्रोंकियोलाइटिस ऑब्लिटरन्स नामक दुर्लभ बीमारी की शिकार हो चुकी है। यही बीमारी आम भाषा में 'पॉपकॉर्न लंग्स' के नाम से जानी जाती है।
आइए समझते हैं कि आखिर क्या है यह बीमारी, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या है 'पॉपकॉर्न लंग्स'?
मेडिकल शब्दों में पॉपकॉर्न लंग्स को ब्रोंकियोलाइटिस ऑब्लिटरन्स कहा जाता है। यह एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की सबसे पतली वायुमार्ग—ब्रॉन्कियोल्स—में सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे वहां स्कार टिशू बनने लगता है। इससे वायुमार्ग सिकुड़ जाते हैं, और व्यक्ति को सांस लेने में लगातार कठिनाई होने लगती है।
इस बीमारी को 'पॉपकॉर्न लंग्स' क्यों कहा जाता है?
इस बीमारी का नाम सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इसके पीछे एक ऐतिहासिक वजह है। पॉपकॉर्न लंग्स शब्द का उपयोग पहली बार उन कर्मचारियों के लिए किया गया था जो माइक्रोवेव पॉपकॉर्न फैक्ट्रियों में काम करते थे और डायसिटाइल (Diacetyl) नामक रसायन के संपर्क में आने के बाद इसी तरह की फेफड़ों की समस्या से पीड़ित पाए गए। डायसिटाइल एक कृत्रिम फ्लेवरिंग एजेंट है, जिसका उपयोग पॉपकॉर्न समेत कई खाद्य उत्पादों में मक्खन जैसा स्वाद देने के लिए किया जाता है।
किन कारणों से होता है पॉपकॉर्न लंग्स?
• डायसिटाइल: वेपिंग लिक्विड्स और पॉपकॉर्न फ्लेवरिंग में इस्तेमाल होने वाला यह रसायन सांस के जरिए फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
• अन्य हानिकारक रसायन: फॉर्मल्डिहाइड, क्लोरीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे रसायन भी इस बीमारी की वजह बन सकते हैं।
• संक्रमण: कुछ मामलों में न्यूमोनिया या ब्रॉन्काइटिस जैसे श्वसन संक्रमण भी ट्रिगर का काम करते हैं।
• प्रतिरक्षा विकार: रूमेटॉइड आर्थराइटिस या फेफड़े के ट्रांसप्लांट के बाद अंग अस्वीकार होने की स्थिति में भी यह रोग हो सकता है।
• ई-सिगरेट का इस्तेमाल (Vaping): लंबे समय तक वेपिंग करने से डायसिटाइल और अन्य हानिकारक तत्वों के कारण इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
पॉपकॉर्न लंग्स के लक्षण क्या हैं?
• लगातार सूखी खांसी
• थोड़ी भी शारीरिक मेहनत पर सांस फूलना
• सीने में घरघराहट (जो अस्थमा से अलग होती है)
• बिना किसी स्पष्ट वजह के थकान महसूस होना
• शुरुआती लक्षण आमतौर पर रसायन के संपर्क में आने के 2 हफ्ते से 2 महीने के भीतर सामने आते हैं
• गंभीर मामलों में यह सांस की समस्या स्थायी हो सकती है
इससे कैसे बचा जा सकता है?
• ऐसे वातावरण में काम करने वाले लोग जहां हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है, उन्हें मास्क और सुरक्षा उपकरणों का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
• धूम्रपान और वेपिंग से पूरी तरह परहेज करें, क्योंकि ये फेफड़ों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं।
• यदि आप किसी फैक्ट्री, लैब या जोखिम वाले क्षेत्र में काम करते हैं, तो नियमित रूप से फेफड़ों की जांच कराना बेहद जरूरी है।
पॉपकॉर्न लंग्स कोई आम बीमारी नहीं है, लेकिन लापरवाही और आधुनिक जीवनशैली खासकर वेपिंग जैसी आदतें इस खतरनाक स्थिति को जन्म दे सकती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम स्वस्थ आदतों को अपनाएं, और जागरूक रहकर अपनी और अपनों की सेहत का ध्यान रखें।
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