
It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
वाशिंगटन । अमेरिका अगले साल मियामी में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका को आमंत्रित नहीं करेगा। अमेरिका ने इस हफ्ते के पहले दिन जी-20 की अध्यक्षता संभाली है। इसके बाद अमेरिका ने अगली बैठक से दक्षिण अफ्रीका को बाहर रखने का फैसला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एएनसी (अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस) के नेतृत्व वाली सरकार पर तोड़फोड़, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति दुश्मनी और एक ऐसे एजेंडे का आरोप लगाया जो फोरम के आर्थिक मिशन को कमजोर करता है। योजना की रूपरेखा पेश करते हुए विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि जी-20 अपने मूल आर्थिक विकास के मुद्दों पर वापस लौटेगा।
रूबियो ने कहा कि अमेरिका 'जी-20' में सिर्फ दोस्तों, पड़ोसियों और साझेदारों को आमंत्रित करेगा। इसमें पोलैंड को भी शामिल किया जाएगा, जिसे उन्होंने दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताया। उन्होंने कहा कि पोलैंड की भागीदारी सुधारों को अपनाने और भविष्य पर ध्यान देने वाले देश की सफलता को दर्शाती है।
इसके बिल्कुल विपरीत उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मंडेला युग के बाद वहां की सरकार ने सामंजस्य की जगह पुनर्वितरणकारी नीति अपनाई, जिसने निवेश को हतोत्साहित किया और देश के सबसे प्रतिभाशाली नागरिक विदेश चले गए।
उन्होंने कहा कि जातीय कोटा ने निजी क्षेत्र को पंगु बना दिया है, जबकि भ्रष्टाचार ने राज्य को दिवालिया कर दिया है। इस कारण दक्षिण अफ्रीका दुनिया की 20 सबसे बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह से पूरी तरह बाहर है।
उन्होंने कहा कि इस साल जी-20 की साउथ अफ्रीका की अध्यक्षता ने नफरत, बंटवारे और कट्टरपंथी एजेंडा को बढ़ावा देकर जी-20 की प्रतिष्ठा को धूमिल किया। इसमें जलवायु परिवर्तन, विविधता और समावेशन व सहायता पर निर्भरता जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया।
उन्होंने प्रिटोरिया पर अमेरिका की आपत्तियों को नजरअंदाज करने, वाशिंगटन और अन्य देशों के इनपुट को ब्लॉक करने और इन बातचीत पर काम कर रहे अमेरिकी अधिकारियों की जानकारी लीक करने का आरोप लगाया।
रूबियो ने कहा कि अमेरिका अपनी 250वीं वर्षगांठ नवाचार, उद्यमिता और दृढ़ता को प्रमुखता देगा। इसके अलावा अमेरिका अपनी अध्यक्षता को रेगुलेटरी बोझ को हटाने, किफायती और सुरक्षित एनर्जी सप्लाई चेन को खोलने और नई टेक्नोलॉजी व इनोवेशन को आगे बढ़ाने पर केंद्रित करेगा।
रूबियो ने एएनसी पर अपने अफ्रीकी नागरिकों के खिलाफ हिंसा के प्रति सहिष्णुता का आरोप लगाया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के ईरान के साथ संबंधों, हमास समर्थकों को बढ़ावा देने और अमेरिका के सबसे बड़े विरोधियों के साथ घनिष्ठता का हवाला दिया। रूबियो ने कहा, "इन सभी कारणों से राष्ट्रपति ट्रंप और संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण अफ्रीकी सरकार को निमंत्रण नहीं देंगे।"
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका के लोगों का समर्थन करता है, लेकिन उसकी कट्टरपंथी सरकार का समर्थन नहीं करता है।
विदेश विभाग के एक मीडिया नोट ने अमेरिकी अध्यक्षता की पुष्टि की और आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने की बात दोहराई।
जी-20 लीडर्स समिट दिसंबर 2026 में मियामी में होगा। हालांकि, भारत इस अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के बीच घटनाक्रम पर अपनी नजर रख सकता है, क्योंकि देश भी खुद जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है और लगातार इस मंच की प्राथमिकताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सीआईडी आईबी कॉन्स्टेबल भर्ती : 395 उम्मीदवारों के लिए बड़ी खबर . . .
2025-12-05 17:39:50
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने ली देवनारायण योजना के अंतर् . . .
2025-12-05 17:35:25
सैनिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सैनिक कल्याण में दें यो . . .
2025-12-05 17:33:31
जयपुर सेंट्रल जेल में फिर मिला मोबाइल . . .
2025-12-05 17:30:17
जयपुर में हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी . . .
2025-12-05 17:27:33
सोबर का जरसी वितरण कार्य क्रम जारी . . .
2025-12-05 10:36:08