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मंगलसूत्र, मुसलमान के बाद अब विरासत टैक्स बना चुनावी मुद्दा
By Lokjeewan Daily - 25-04-2024

अभिनय आकाश ।

हर साल आम बजट के वक्त डायरेक्ट टैक्स या इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव के जरिए राहत की उम्मीद हर आम आदमी करता है। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि आपके पैसे, आपकी संपत्ति में से सरकार अपना हिस्सा मांगेने लगेगी, तो आप चौंकेगे- क्या? अगर आपको पता चले कि आपके दादा-परदादा के द्वारा अर्जित की गई संपत्ति में से आधा हिस्सा सरकार टैक्स के रूप में जब्त कर लेगी। आप कहेंगे ये क्या बात हुई भला? वैसे तो आज से ठीक दो दिन बाद 13 राज्यों में 89 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान चल रहा होगा। लेकिन क्या दूसरे चरण का मतदान मंगलसूत्र, मुसलमान और संपत्ति पर होगा? क्या इस बार मतदान का मुद्दा बदल जाएगा। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले एक दो दिन में चुनावी चर्चा के केंद्र में मंगलसूत्र, मुसलमान और संपत्ति की चर्चा तेज हो चली है। बीजेपी से लेकर कांग्रेस अपने अपने बयान और दावे हैं। विरासत टैक्स वाले बयान को बीजेपी के दिग्गजों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक ने कांग्रेस पर वार किया। प्रधानमंत्री ने पित्रोदा के बयान पर कहा कि कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी, बाद भी। क्योंकि कांग्रेस की नजर जनता की गाढ़ी कमाई पर है। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पार्टी अब एक्सपोज हो चुकी है और उसे अब अपने घोषणापत्र से सर्वे की बात हटा लेनी चाहिए। दरअसल, कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और उसकी मृत्यु के बाद केवल 45 फीसदी संपत्ति बच्चों को मिलती है। बाकी सरकार के पास चली जाती है। जाहिर है आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये विरासत टैक्स है क्या जिसकी वकालत कांग्रेस नेता ने की है। 

क्या होता है विरासत टैक्स

इनहेरिटैंस टैक्स जिसे हिंदी में विरासत कर कहते हैं उन लोगों पर लगाया जाता है जिन्हें अपने पूर्वजों से उनकी मृत्यु के बाद चल-अचल संपत्ति मिलती है। पैसा कमाने के लिए अभी सरकार के पास दो एक्ट है, पहला जीएसटी जिससे 2023-24 में 20.14 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन आराम से हो जा रहा है। दूसरा इनकम टैक्स है जिससे वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 19.58 लाख करोड़ रुपए रहा है। 

1953 में लगाया जाता था एस्टेट टैक्स

इतिहास पर गौर करें तो 1953 में पहली बार इनहेरिटैंस टैक्स लागू किया गया था। तब इसे एस्टेट टैक्स कहा जाता था। इस टैक्स कानून के तहत ये टैक्स उन लोगों पर लगाया जाता था जिन्हें अपने पूर्वजों के मरने के बाद अपनी संपत्ति मिलती थी। पूर्वजों की मृत्यु के वक्त संपत्ति की कीमत के आधार पर ये टैक्स वसूला जाता था। भारत में तब एस्टेट टैक्स 85 फीसदी की दर से वसूला जाता था। हालांकि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजवी गांधी के कार्यकाल के दौरान एस्टेट टैक्स को खत्म कर दिया गया था। 

किन देशों में विरासत टैक्स की व्यवस्था

अमेरिका ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस जैसे दुनिया के कई देशों में इनहेरिटैंस टैक्स वसूला जाता है। अमेरिका और ब्रिटेन में 40 फीसदी की दर से इनहेरिटैंस टैक्स वसूला जाता है। फ्रांस में अलग अलग स्लैब में 5 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक इनहेरिटैंस टैक्स वसूला जाता है। जापान में 10 फीसदी से लेकर 70 फीसदी तक एस्टेट टैक्स वसूले जाने का प्रावधान है। अमेरिका में विरासत कर आम नहीं है। वास्तव में 2023 तक केवल छह राज्यों में विरासत कर है। आयोवा, केंटुकी, मैरीलैंड, नेब्रास्का, न्यू जर्सी और पेंसिल्वेनिया के निवासियों के लिए विरासत में मिली संपत्ति पर कर लगाया जाता है। आप विरासत कर का भुगतान करेंगे या नहीं यह विरासत की राशि और मृतक के साथ आपके रिश्ते पर निर्भर करता है।

विरासत कर और संपत्ति कर में अंतर

विरासत कर संपत्ति कर के समान नहीं है। संपत्ति कर का आकलन संपत्ति के वितरण से पहले ही संपत्ति पर किया जाता है, जबकि वसीयत के लाभार्थियों पर विरासत कर लगाया जा सकता है। अमेरिका में कोई संघीय विरासत कर नहीं है, जबकि अमेरिकी सरकार बड़ी संपत्तियों पर सीधे कर लगाती है। यदि प्रासंगिक ह, तो संपत्ति से किसी भी कमाई पर आयकर लगाती है। विरासत कर छह अमेरिकी राज्यों आयोवा, केंटकी, मैरीलैंड, नेब्रास्का, न्यू जर्सी और पेंसिल्वेनिया द्वारा एकत्र किए जाते हैं। आपकी विरासत पर कर लगेगा या नहीं, और किस दर से, यह उसके मूल्य, दिवंगत व्यक्ति के साथ आपके संबंध और जहां आप रहते हैं वहां प्रचलित नियमों पर निर्भर करता है। विरासत कर का आकलन उस राज्य या राज्यों द्वारा किया जा सकता है जहां मृतक रहता था या उसके पास संपत्ति थी।

क्यों लगाया जाता है विरासत कर 

विदेशों में इनहेरिटेंस टैक्स को कुछ हाथों में अकूत संपत्ति जमा करने से रोकने की दिशा में इसे बड़े कदम के तौर पर देखा जाता है। जिससे समाज में असमानता को खत्म किया जा सके। लेकिन भारत में परिस्थितियां थोड़ी अलग है। प्रॉपर्टी की बेंच मार्क या थ्रेस होल्ड लिमिट वैल्यू के मानक को लेकर विवाद हो सकता है। इससे अमीर लोगों के साथ ही मध्य वर्गीय लोगों के चपेट में आने का खतरा भी है। 

विरासत करों की गणना कैसे की जाती है

यदि कोई विरासत कर देय है, तो वह विरासत के केवल उस हिस्से पर लागू होता है जो छूट राशि से अधिक है। कर का आकलन आमतौर पर स्लाइडिंग आधार पर किया जाता है। दरें आम तौर पर एकल अंकों में शुरू होती हैं और 15% से 18% तक जाती है। 

भारत में विरासत में मिली संपत्ति पर अभी क्या है टैक्स के प्रावधान?

आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार वसीहत या विरासत से हासिल की गई संपत्ति टैक्स के दायरे में नहीं आएगी। एक बार अगर आप विरासत में मिली संपत्ति के मालिक बन जाते हैं तो उसका नफा नुकसान भी आपको ही झेलना होगा। फायदा होने की स्थिति में आपको कैपिटल गेंस टैक्स देना होगा। इस कैपिटलल गेन का निर्धारण प्रॉप्टी पर कब्जे की समयसीमा से तय होगी। अगर आपको अपने पिता से कोई संपत्ति 2022 में मिली है और आप इसे अप्रैल 2024 में बेचना चाहते हैं तो इस प्रॉफिट पर आपको कैपिटल गेन देना होगा। 

इनहेरिटेंस टैक्स को रिसर्च ने माना खराब आर्थिक नीति में से एक

टैक्स फाउंडेशन की 2015 में छपी एक रिसर्च के अनुसार, संपत्ति और विरासत कर खराब आर्थिक नीति हैं। पूंजी स्टॉक पर लगाए गए कर नौकरी के अवसरों में बाधक हैं और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं। इस रिसर्च में पता चला कि यूएस संपत्ति कर को निरस्त कर दे तो लगभग 150,000 नौकरियों का सृजन होगा और संघीय टैक्स में प्रति वर्ष 8 बिलियन का इजाफा होगा। कई देशों ने माना है कि संपत्ति और विरासत कर राजस्व का एक खराब स्रोत हैं और इन करों को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। 

विरासत या एस्टेट टैक्स हटाने वाले देश

एस्टेट या इनहेरिटेंस टैक्स को हटाना आपको ज्यादा प्रगतिशील बनाता है और दूसरा ऐसे टैक्स वसूलने में बड़ी लागत आती है।  संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक संपत्ति करों में से एक है, इसलिए कई देश इस कर को खत्म करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2000 से ग्यारह देशों और दो कर क्षेत्राधिकारों ने अपने संपत्ति या विरासत करों को निरस्त कर दिया। निरस्त करने वाले दो कर क्षेत्राधिकार मकाऊ और हांगकांग थे।  

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