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सभी 7 सीटों पर कौन होगा दावेदार
By Lokjeewan Daily - 17-10-2024

जयपुर : राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान होने के तुरंत बाद टिकट के दावेदार ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। राजनैतिक दल भी जोड़ बाकी गुणा और भाग के समीकरण बैठाने लगे हैं। कल यानी शुक्रवार 18 अक्टूबर से नामांकन दाखिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में टिकट की दौड़ में शामिल नेता जयपुर से दिल्ली तक पूरी जोर आजमाइस में लगे हैं। सातों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी तय करने के लिये राजनैतिक दलों के प्रमुख भी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं।

नामांकन की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर है। ऐसे में प्रत्याशी तय करने और नामांकन दाखिल करने का कार्य अब जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है ताकि प्रचार के लिए फील्ड में ज्यादा समय मिल सके। प्रदेश की इन सभी सातों सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होगा। उपचुनाव वाली प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर कौन कौन हैं प्रमुख दावेदार? यह जानने के लिए आगे पढ़ें दावेदारों और पार्टी के मूड को लेकर पूरी खबर।
झुंझुनूं

झुंझुनूं विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट के लिए निशीत चौधरी यानी बबलू चौधरी का नाम सबसे आगे है। बबलू ने हाल ही में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। 57,935 वोट लेकर वे दूसरे स्थान पर रहे। उपचुनाव में बीजेपी फिर से बबलू चौधरी पर दांव लगाने की तैयारी में है। हालांकि इस सीट से राजेंद्र भांबू और बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के नाम भी चल रहे हैं लेकिन सतीश पूनिया फिलहाल चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं। उधर कांग्रेस की बात करें तो सांसद बनने के बाद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला या परिवार के किसी अन्य सदस्य को कांग्रेस चुनाव मैदान में उतारने के मूड में है।
दौसा

दौसा विधानसभा सीट पर मीणा मतदाता हार जीत तय करते हैं। मीणा बाहुल्य यह सीट सामान्य है। भाजपा इस सीट से गैर मीणा प्रत्याशी उतारने के मूड में है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को दौसा से चुनाव प्रत्याशी बनाया जा सकता है। अगर गैर मीणा को टिकट नहीं दिया जाता है तो डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा का नाम प्रमुख दावेदारों में शामिल है। कांग्रेस की बात करें तो दौसा क्षेत्र सचिन पायलट का भी गढ माना जाता है। पायलट की मां रमा पायलट और पिता राजेश पायलट दौसा से सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस की ओर पायलट समर्थक को ही प्रत्याशी बनाए जाने की पूरी संभावना है। पूर्व विधायक जीआर खटाणा का नाम प्रमुख दावेदारों में है। विधायक से सांसद बने मुरारीलाल मीणा भी पायलट खेमे के हैं। उनके परिवार में से भी किसी को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

रामगढ़

नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में अलवर जिले की रामगढ विधानसभा सीट से भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। आजाद समाज पार्टी के सुखवंत सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे और भाजपा के जय आहुजा तीसरे स्थान पर रहे। इस बार जय आहुजा फिर से टिकट के दावेदारों में है। साथ ही भाजपा सुखवंत सिंह पर भी दांव खेलने की कोशिश में है। कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस यहां पर इमोशनल कार्ड खेल सकती है। कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन से ही यह विधानसभा सीट खाली हुई थी। ऐसे में कांग्रेस दिवंगत जुबेर खान की पत्नी पूर्व विधायक साफिया खान या उनके बेटे आर्यन खान को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
सलूंबर

सलूंबर विधानसभा सीट भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा के निधन से खाली हुई थी। भाजपा यहां इमोशनल कार्ड खेलते हुए दिवंगत अमृतलाल मीणा के बेटे अविनाश या पत्नी शांति देवी को चुनाव मैदान में उतार सकती है। उधर कांग्रेस इस सीट को छीनने का पूरा प्रयास करेगी। ऐसे में पूर्व सांसद रघुवीर मीणा का नाम आगे बढाया जा रहा है।
देवली उनियारा
देवली उनियारा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में दावेदारों के बीच बड़ी जंग चल रही है। यहां दावेदारों की संख्या ज्यादा है। भाजपा से टिकट पाने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर सबसे आगे माने जा रहे हैं लेकिन नवंबर 2023 में चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला भी प्रमुख दावेदारों में शामिल है। उनकी बहन सुनीता बैंसला भी टिकट की दौड़ में है। उधर कांग्रेस से पूर्व सांसद नमोनारायण मीणा, पूर्व विधायक रामनारायण मीणा और प्रह्लाद गुंजल के नाम प्रमुख दावेदारों में है।

खींवसर

नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर डॉ. ज्योति मिर्धा और रेवंतराम डांगा दोनों प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। डॉ. मिर्धा और डांगा दोनों पिछला चुनाव लड़ चुके हैं। चूंकि लोकसभा चुनाव में नागौर सीट पर कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन किया था। ऐसे में कांग्रेस की ओर से अभी स्थिति साफ नहीं है। चूंकि खींवसर सीट पर आरएलपी का दबदबा है। ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस एक बार फिर बेनीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है।

चौरासी

चौरासी विधानसभा सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी का वर्चस्व है। 2018 के चुनाव में राजकुमार रोत बीटीपी के टिकट पर विधायक बने थे और बाद में 2023 के चुनाव में वे भारत आदिवासी पार्टी से विधायक चुने गए थे। बाद में वे सांसद बन गए तो अब उपचुनाव हो रहे हैं। उपचुनाव में भी भारत आदिवासी पार्टी का दबदबा रहने की संभावना है। कहीं यह सीट भाजपा की झोली में ना चली जाए। इस विचार पर कांग्रेस इस सीट पर गठबंधन भी कर सकती है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारत आदिवासी पार्टी के समर्थन में अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया था। भाजपा से यहां महेंद्रजीत सिंह मालवीय का नाम प्रमुख दावेदारों में है। मालवीय पहले कांग्रेस में थे और गहलोत सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन पिछले दिनों वे कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के टिकट पर मालवीय ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा। अब भाजपा मालवीय और सुशील कटारा में से किसी एक को चुनाव मैदान में उतार सकती है।

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