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जेजेएम घोटाले को लेकर पूछताछ शुरू, दस्तावेजों पर मांगा जवाब
By Lokjeewan Daily - 24-04-2025

जयपुर। राजस्थान में बहुचर्चित जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई तेज हो गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री महेश जोशी गुरुवार दोपहर ईडी मुख्यालय पहुंचे, जहां उनसे पूछताछ जारी है। बताया जा रहा है कि ईडी ने उन्हें पहले भी कई बार समन भेजे थे, लेकिन वे व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर उपस्थित नहीं हो रहे थे।

इस बार उन्होंने तय समय पर हाजिरी लगाई। वे दोपहर 1 बजे अपने एक निजी सहयोगी के साथ ईडी दफ्तर पहुंचे, जहां उन्हें कमरा नंबर 3 में पूछताछ के लिए बुलाया गया। ईडी के अधिकारी उनसे संबंधित दस्तावेजों पर जवाब मांग रहे हैं। पूछताछ दोपहर 1:30 बजे से शुरू हुई है और देर शाम तक चलने की संभावना है।
जल जीवन मिशन (जेजेएम) केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक नल से पानी पहुंचाना है। इस मिशन के तहत वर्ष 2024 तक हर व्यक्ति को 55 लीटर प्रति दिन शुद्ध पानी देने का लक्ष्य तय किया गया है। कुल बजट 3.6 लाख करोड़ रुपए का रखा गया, जिसमें से केंद्र सरकार का योगदान 58 प्रतिशत (2.8 लाख करोड़) है।
राजस्थान ने इस योजना में पैसे खर्च करने के मामले में जून 2023 तक देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया। लेकिन अब उसी में घोटाले के आरोपों ने योजना की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रदेश के 22 जिलों में यह योजना लागू की गई, जिनमें शामिल हैं। अलवर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, झुंझुनूं, जोधपुर, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही और उदयपुर।
सूत्रों के अनुसार, जेजेएम के अंतर्गत करोड़ों रुपए के खर्च में भारी गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं। कई जिलों में बिना भौतिक कार्य के ही भुगतान किए गए, फर्जी बिल प्रस्तुत किए गए और टेंडर प्रक्रिया में भी कई अनियमितताएं सामने आईं।महेश जोशी पर आरोप है कि वे इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान प्रभावशाली पद पर रहते हुए कुछ फैसलों में शामिल थे या उनकी जानकारी में ही घोटाले को अंजाम दिया गया।
ईडी की कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब राजस्थान में कांग्रेस के कई अन्य नेता भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। यह पूछताछ न केवल महेश जोशी बल्कि इस पूरे घोटाले के नेटवर्क को सामने ला सकती है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी के पास बैंक ट्रांजेक्शनों, ठेकेदारों से लिए गए बयान और वित्तीय गड़बड़ियों के ठोस दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद हैं।
अगर महेश जोशी पूछताछ में सहयोग नहीं करते या संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं, तो ईडी उनकी लंबी पूछताछ, जमानत रद्दीकरण की प्रक्रिया या गिरफ्तारी जैसी सख्त कार्रवाइयों पर भी विचार कर सकती है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे राजनीतिक प्रतिशोध का नाम दे सकती है, जैसा पहले के मामलों में देखने को मिला है।

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