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जयपुर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा निरन्तर बढ़ती जा रही है। गौरवशाली भारत का लोकतंत्र और संविधान सुदृढ है। हम सभी को एकजुट होकर भारतीय राष्ट्र की संस्कृति के प्रति गर्व की अनुभूति करनी चाहिए। भारत प्राचीन काल से ही शिक्षा और विज्ञान की दृष्टि से समृद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हित में पक्ष और प्रतिपक्ष को एकजुट होना आवश्यक है। देश है तो हम है और यदि देश नहीं रहेगा, तो हमारा भी अस्तित्व नहीं रहेगा।
राजस्थान विधान सभा में चौथा युवा संसद- देवनानी शनिवार को राष्ट्र मण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में राजस्थान विधान सभा में आयोजित युवा संसद को सम्बोधित कर रहे थे। देवनानी और संघ के सचिव संदीप शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर राजस्थान विधान सभा के सदन में चौथे युवा संसद का शुभारम्भ किया। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर विधान सभा के सदन में तेरह राज्यों के 168 युवाओं ने देश की सुरक्षा से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर तो और तथ्यों के साथ संवाद किया। युवाओं ने पक्ष-विपक्ष में बैठकर राष्ट्र के मुद्दे पर एकजुटता दिखाई।
देवनानी ने युवाओं को समझायी लोकतंत्र की संस्कृति- देवनानी ने देश के विभिन्न भागों से युवा संसद के लिए चयनित होकर आए छात्र-छात्राओं को लोकतंत्र की संस्कृति समझायी। श्री देवनानी ने सदन में आते ही पहले प्रतिपक्ष की ओर मुखातिव होकर नमस्कार किया और फिर पक्ष के सदस्यों को नमस्कार किया।
देवनानी ने कहा कि यह वह सदन है जहां लोकतंत्र के मूल्यों की अभिव्यक्ति होती है। जन भावनाएं नीतियों में रूपान्तरित होती है और यहीं से जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायी होते है। उन्होंने कहा कि इस सदन में जनप्रतिनिधि की लोकतांत्रिक चेतना, विचारशीलता और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होती है। श्री देवनानी ने कहा कि तर्क और तथ्यों के आधार पर अपनी बात कहना, दूसरों की बात धैर्य से सुनने के साथ सहमति और असहमति के आधार पर सन्तुलन बनाना ही लोकतंत्र की संस्कृति है। युवा संसद युवाओं को सिर्फ आलोचक ही नहीं भागीदार बनने के लिए प्रेरित करती है, ताकि वे सामाजिक परिर्वतन के वाहक बन सके।
संवाद स्थापित करने और विभिन्न दृष्टिकोण को समझने का मंच- राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि सदन जनप्रतिनिधि को अपने विचार रखने, संवाद स्थापित करने और परस्पर दृष्टिकोणों को अनुशासन, संवेदनशीलता, विवेक और वैचारिक विविधता के साथ समझने का मंच है। सदन का यह मंच जन प्रतिनिधि को स्वयं को समझने के लिए जनहित के अनुरूप मौका देता है। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन केवल आदेशों का प्रवाह नहीं होता बल्कि वह विचारों, मूल्य निर्धारण और जनहित की सतत प्रक्रिया है।
देवनानी ने भावी पीढी को दिया संदेश राष्ट्रहित सर्वोपरि और विरोध शालीनता से प्रस्तुत करें- राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि भारत की सम्पप्रभुता और राष्ट्रीय अखण्डता हमारे लिए सर्वोपरि है। यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान और संवैधानिक प्रतिबद्धताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सदन में विरोध शालीनता से प्रस्तुत करना होता है। मतभेदों में भी मर्यादित रहना होता है। उन्होंने कहा कि जनभावनाएं सदन में आनी चाहिए। मानवीय भावनाओं को हमें समझना होगा। संवाद की गरिमा बनाए रखने के साथ आदर्श प्रस्तुत करना होगा।
रामचरितमानस पढ़ें और सीखे पिता, पुत्र, भाई, पत्नी की भूमिका- देवनानी ने कहा कि शिक्षा और विज्ञान में हमारा देश प्राचीन काल से ही समृद्ध है। सिन्धु के किनारे वेद लिखे गये। मोहनजोदडों ने कपडे पहनना और नगर बसाना सिखाया। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया के जमाने में युवा बिना पडताल किये सुनी सुनाई बाले पोस्ट कर देते हैं, यह ठीक नहीं है। युवाओं को गहराई में जाने का स्वभाव बनाना होगा।
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