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जोधपुर में वकील से धक्का-मुक्की : हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त, DCP और SHO को तलब किया
By Lokjeewan Daily - 02-12-2025

जाेधपुर। जोधपुर के कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड थाने में वकील के साथ हुई धक्का-मुक्की का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। घटना का संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर पुलिस कमिश्नर, पुलिस उपायुक्त और SHO हमीरसिंह को तुरंत पेश होने के आदेश जारी किए हैं। घटना सोमवार देर शाम की है। जानकारी के अनुसार, थाने में एक वकील भरतसिंह राठौड़ बयान लेने पहुंचे थे। इस दौरान एक पुलिसकर्मी बिना वर्दी के बयान ले रहा था। वकील ने आपत्ति जताई तो SHO हमीरसिंह भड़क गए। उन्होंने वकील से धक्का-मुक्की की, उनका कोट फाड़ दिया और धमकी देते हुए कहा—“वकील है तो क्या हुआ, अभी 151 में बंद कर दूंगा… सारी वकालत निकाल दूंगा।” इसके बाद मामला तूल पकड़ गया। थाने के बाहर बड़ी संख्या में वकील जुट गए और रातभर विरोध-धरना जारी रखा। राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन तथा राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन, जोधपुर के बैनर तले वकीलों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
धरना मंगलवार सुबह भी जारी है। वकीलों के संगठनों ने घोषणा की है कि 2 दिसंबर को राजस्थान हाईकोर्ट और सभी अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक कार्य का स्वैच्छिक बहिष्कार किया जाएगा। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।
पूरा मामला अब हाईकोर्ट की निगरानी में है और पुलिस प्रशासन पर तीखा सवाल खड़ा हो गया है।
अधिवक्ताओं से दुर्व्यवहार पर नाराज़गी : पूर्व महासचिव मनीष कुमावत ने SHO की गिरफ्तारी और निलंबन की मांग की
राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव मनीष कुमावत ने घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि सोमवार को कुड़ी भगतासनी थाना प्रभारी द्वारा अधिवक्ताओं के साथ जो व्यवहार किया गया, वह न केवल शर्मनाक है बल्कि कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कुमावत ने कहा—“मैं इस अमानवीय और आपराधिक कृत्य की कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूं।” उन्होंने आगे पुलिस अधीक्षक जोधपुर, डीजीपी राजस्थान और राजस्थान सरकार के गृहमंत्री से मांग की किSHO को अविलंब गिरफ्तार कर सेवा से निलंबित किया जाए। कुमावत का कहना है कि केवल कठोर कार्रवाई ही भविष्य में पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं के साथ ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोक सकती है।
अधिवक्ता संगठनों ने भी साफ कहा है कि यदि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई नहीं होती, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

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