It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कमी के लिए मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि 'बेटी बचाओ' के बजाय, हमें अपनी बेटियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने की जरूरत है। खड़गे ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि क्या जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशें और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू किया गया है या नहीं।
खड़गे ने एक्स पर लिखा कि हमारी महिलाओं के साथ हुआ कोई भी अन्याय असहनीय है, पीड़ादायक है और घोर निंदनीय है। हमें ‘बेटी बचाओ’ नहीं ‘बेटी को बराबरी का हक़ सुनिश्चित करो’ चाहिए। उन्होंने लिखा कि महिलाओं को संरक्षण नहीं, भयमुक्त वातावरण चाहिए। देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं। हर दिन 22 अपराध ऐसे हैं जो हमारे देश के सबसे कमज़ोर दलित-आदिवासी वर्ग की महिलाओं व बच्चों के ख़िलाफ़ दर्ज होते हैं। अनगिनत ऐसे अपराध है जो दर्ज ही नहीं होते - डर से, भय से, सामाजिक कारणों के चलते।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी लाल क़िले के भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, पर उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया जिससे महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में कुछ रोकथाम हो। उल्टा, उनकी पार्टी ने कई बार पीड़िता का चरित्र हनन भी किया है, जो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि हर दीवार पर “बेटी बचाओ” पेंट करवा देने से क्या सामाजिक बदलाव आएगा या सरकारें व क़ानून व्यवस्था सक्षम बनेगी?
उन्होंने सवाल किया कि क्या हम निवारक क़दम उठा पा रहे हैं? क्या हमारा आपराधिक न्याय प्रणाली सुधरा है? क्या समाज के शोषित व वंचित अब एक सुरक्षित वातावरण में रह पा रहे हैं? उन्होंने पूछा कि क्या सरकार और प्रशासन ने वारदात को छिपाने का काम नहीं किया है? क्या पुलिस ने पीड़िताओं का अंतिम संस्कार जबरन करना बंद कर दिया है, ताकि सच्चाई बाहर न आ पाएँ? हमें ये सोचना है कि जब 2012 में दिल्ली में “निर्भया” के साथ वारदात हुई तो जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशें लागू हुई थी, आज क्या उन सिफ़ारिशों को हम पूर्णतः लागू कर पा रहे हैं?
उन्होंने कहा कि क्या 2013 में पारित कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के प्रावधानों का ठीक ढंग से पालन हो रहा है, जिससे कार्यस्थल पर हमारी महिलाओं के लिए भयमुक्त वातावरण तैयार हो सके? संविधान ने महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध एक गंभीर मुद्दा है। इन अपराधों को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम सबको एकजुट होकर, समाज के हर तबके को साथ लेकर इसके उपाय तलाशने होंगे।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि 2025 में सभी निकायों के च . . .
2024-09-12 13:26:57
सवाई माधोपुर, धौलपुर, भरतपुर में भारी बारिश, कई इलाके डूबे . . .
2024-09-12 13:22:18
राइजिंग राजस्थान: कोरिया के बाद जापान में रोड शो, जापानी व्यापार . . .
2024-09-11 13:26:14
राज्य स्तरीय हिन्दी दिवस समारोह 14 सितम्बर को . . .
2024-09-12 13:18:54
पुलिस ने विशेष ऑपरेशन ‘उल्लास’ चलाया:राजस्थान के 755 बच्चे लापता . . .
2024-09-11 13:19:27
गोविंददेवजी मंदिर में मनाई राधा अष्टमी उत्सव . . .
2024-09-11 13:00:13