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दिल्ली । पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड (वीसी फंड) की स्थापना को मंजूरी दी है। सरकार के इस कदम से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
यह कोष भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (आईएन-स्पेस) के तहत काम करेगा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ मिलकर इसका संचालन किया जाएगा।
आईएन-स्पेस के तहत प्रस्तावित वीसी फंड का डेप्लॉयमेंट पीरियड, फंड ऑपरेशन की शुरुआत की तारीख से अगले पांच वर्ष तक रहेगा। प्रस्तावित फंड के साथ अंतरिक्ष सप्लाई चेन में स्टार्टअप को बढ़ावा मिलने के साथ भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में रोजगार के सृजन की उम्मीद है।
कैबिनेट ने कहा कि निवेश के अवसरों और फंड की आवश्यकताओं के आधार पर एवरेज डेप्लॉयमेंट अमाउंट प्रति वर्ष 150-250 करोड़ रुपये हो सकता है।
सरकार के अनुसार, किसी कंपनी की स्थिति, उसकी विकास की क्षमताओं और राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षमताओं पर उसके प्रभाव के आधार पर फंड की राशि तय की जाएगी।
कंपनियों के लिए यह राशि 10 करोड़ से 60 करोड़ रुपये तक रहेगी। सरकार की ओर से इक्विटी निवेश सीमा विकास चरण के लिए 10-30 करोड़ रुपये और विकास के अंतिम चरण के लिए 30 करोड़ रुपये-60 करोड़ रुपये रहेगी।
मंत्रिमंडल ने कहा, "बताई गई निवेश सीमा के आधार पर, इस फंड से लगभग 40 स्टार्टअप्स को सहायता मिलने की उम्मीद है।"
2020 के अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों के हिस्से के रूप में, सरकार ने अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और उसकी देखरेख करने के लिए आईएन-स्पेस की स्थापना की थी।
आईएन-स्पेस ने अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के विकास का समर्थन करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के वीसी फंड का प्रस्ताव रखा, जिसका वर्तमान मूल्य 8.4 अरब डॉलर है और इसका लक्ष्य 2033 तक 44 अरब डॉलर तक पहुंचना है।
कैबिनेट नोट के अनुसार, वैल्यू चेन के तहत लगभग 250 अंतरिक्ष स्टार्टअप उभर रहे हैं, इसलिए उनके विकास और प्रतिभाओं को विदेश जाने से रोकने के लिए समय पर उनकी वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना जरूरी है।
सरकार समर्थित प्रस्तावित फंड निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगा, निजी पूंजी को आकर्षित करेगा और अंतरिक्ष सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाने में महत्वपूर्ण होगा।
यह फंड पूंजी निवेश के माध्यम से इनोवेशन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, भारत में कंपनियों को बनाए रखने, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विकास में तेजी लाने, वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और एक अनुकूल इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने के लिए बनाया गया है।
मंत्रिमंडल ने कहा कि पूंजी निवेश से बाद के चरण के विकास के लिए अतिरिक्त निधि आकर्षित कर गुणक प्रभाव पैदा होगा, जिससे निजी निवेशकों में विश्वास पैदा होगा।
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