It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

ईआरसीपी परियोजना का पीएम मोदी जयपुर में कल करेंगे उद्घाटन, 11 नदियों को जोड़ने की पहल
By Lokjeewan Daily - 16-12-2024

जयपुर, सदियों से जिस मरूभूमि की प्यास कुओं और बावड़ियों ने बुझाई हो, वहां कल ईआरसीपी प्रोजेक्ट की घोषणा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को जयपुर में ईआरसीपी प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने रविवार को गुजरात के सूरत इसे लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  17 दिसंबर को जयपुर में जिस परियोजना का उद्घाटन करने जा रहे हैं, उसमें 11 नदियों को जोड़ा जाएगा। इसके जरिए राजस्थान को जल-अधिशेष वाला राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 

गौरतलब है कि मौजूदा भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद ईआरसीपी प्रोजेक्ट को लेकर इसी साल जनवरी में मध्यप्रदेश और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक एमओयू साइन किया था। जनवरी 2024 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का नाम बदलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना कर दिया। पीकेसी-ईआरसीपी में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज शामिल हैं।

पूर्वी राजस्थान में जलसंकट होगा खत्म
प्रदेश सरकार का यह प्रोजेक्ट यदि धरातल पर उतर जाता है तो यह पानी का संकट झेल रहे पूर्वी राजस्थान में बड़ा बदलाव लाने वाली परियोजना साबित होगी। राजस्थान के झालावाड़, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, गंगापुर, दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर समेत 21 नवगठित जिलों और मध्यप्रदेश में गुना, शिवपुरी, श्योपुर, सीहोर, शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, मंदसौर, मुरैना, रतलाम, ग्वालियर आदि जिलों में इस परियोजना से पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने भी ईआरसीपी को लेकर काम शुरू किया था। 

पहला बांध कालीसिंध पर तैयार 
इस योजना के तहत राजस्थान के कोटा जिले की पीपल्दा विधानसभा में कालीसिंध नदी पर तैयार हुआ पहला नोनेरा एबरा बांध शुरू हो चुका है। जल संसाधन विभाग ने 8 से 12 सितंबर तक इस बांध में पानी का भराव करके गेटों की टेस्टिंग की थी। इसके बाद इस बांध को शुरू कर दिया गया था। ईआरसीपी प्रोजेक्ट के तहत हाड़ौती की नदियों के सरप्लस पानी को 170 किलोमीटर दूर तक ले जाया जाना है। इसके लिए पंपिंग, ग्रेविटी चैनल एस्कैप, ग्रेविटी फीडर, कैनाल, सुरंग और पानी के लिए पुलिया बनाई जाएगी।

अन्य सम्बंधित खबरे