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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लोकप्रिय अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ साक्षात्कार में बताया कि उनकी सरकार ने देश में जनकल्याण योजनाओं के फंड की बर्बादी को रोककर सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने का काम पहले ही कर दिया है। यह ठीक वैसा ही है जैसा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाल ही में शुरू किए गए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिसिएंसी (डीओजीई) का लक्ष्य है।
पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब वह सत्ता में आए, तो उन्होंने सामाजिक कल्याण के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) प्रणाली शुरू की, जिसने विभिन्न योजनाओं के फर्जी, अस्तित्वहीन लाभार्थियों को खत्म कर दिया। पहले भ्रष्ट बिचौलियों द्वारा सिस्टम से भारी मात्रा में धन निकाला जा रहा था।
पीएम मोदी ने फ्रिडमैन से कहा, "2014 में पदभार संभालने के बाद, मैंने देखा कि उस समय हम कई वैश्विक चर्चाओं का हिस्सा नहीं थे, जैसा कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और डीओजीई के बारे में बात की जा रही है। लेकिन मैं आपको एक उदाहरण देता हूं ताकि आप देख सकें कि किस तरह का काम किया गया था। मैंने देखा कि कुछ सरकारी योजनाओं, विशेष रूप से कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उन लोगों द्वारा उठाया जा रहा था, जो वास्तविक जीवन में कभी अस्तित्व में ही नहीं थे।"
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मार्च 2023 तक, डीबीटी के माध्यम से सामाजिक कल्याण निधि आवंटित करने के मोदी सरकार के मॉडल ने लगभग 3.48 लाख करोड़ रुपये बचाए थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भ्रष्ट एलिमेंट द्वारा फर्जी निकासी के कारण होने वाले लिकेज को रोकने के साथ अब हर साल लगभग 64,000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इसी के साथ कुल बचत अब लगभग 5 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
यह ठीक वैसा ही है जो एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई कार्यक्रम ने अमेरिका में पाया है, जहां सामाजिक सुरक्षा लाभ ऐसे लोगों को दिए जा रहे थे जो अब जीवित नहीं हैं।
आधार आधारित बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करने पर आधारित डीबीटी मॉडल ने बिचौलियों को खत्म कर दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि पैसा सीधे लाभार्थियों तक पहुंचे।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, सब्सिडी का दावा करने के लिए नकली एलपीजी कनेक्शन, नकली राशन कार्ड और मनरेगा ग्रामीण रोजगार योजना के तहत जॉब कार्ड में बचत स्पष्ट है।
उदाहरण के लिए, 2022-23 में मनरेगा में 7.1 लाख नकली जॉब कार्ड को खत्म कर 42,534 करोड़ रुपये बचाए गए। इसी तरह, 4.15 करोड़ डुप्लीकेट, फेक, गैर-मौजूद और निष्क्रिय एलपीजी कनेक्शन को खत्म कर 73,443 करोड़ रुपये बचाए गए।
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