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वाशिंगटन, भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 286 दिनों के बाद धरती पर वापस लौट आई हैं। अंतरिक्ष एजेंसी- नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक सुनीता और बैरी विल्मोर समेत चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर लौटा यान तड़के 3.27 बजे अमेरिका के फ्लोरिडा में समुद्र तल पर उतारा। इस मिशन में नासा के साथ एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का भी उल्लेखनीय सहयोग रहा। फ्लोरिडा में स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से लौटे चारों अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी की नासा ने पुष्टि की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे तो वे दोनों से ओवल ऑफिस में मुलाकात करेंगे।
भारत में परिवार के लोग खुश
सुनीता विलियम्स के सकुशल धरती पर लौटने पर भारत में सुनीता के खानदान के लोगों में खुशी का माहौल है। सुनीता विलियम्स के चचेरे भाई दिनेश रावल ने कहा कि 'जब वे सुरक्षित लौटीं तो हम खुशी से उछल पड़े। मैं बहुत खुश था। कल से ही हम परेशान थे, लेकिन भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली और सुनीता सुरक्षित धरती पर लौट आईं। सुनीता कोई आम महिला नहीं है बल्कि वह दुनिया बदलेगी।' सुरक्षित वापसी पर गुजरात में उनके पैतृक गांव में आतिशबाजी कर जश्न मनाया गया।
नासा और मस्क ने सुनीता समेत चार अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी पर दी बधाई
नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के बाद आधिकारिक बयान में कहा, सभी अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित धरती पर लौट चुके हैं। नासा ने कहा कि सभी यात्रियों की तबीयत ठीक है। उन्हें निगरानी में रखा जाएगा। समुद्र से बाहर निकाले जाने की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए नासा ने कहा, कोस्ट गार्ड की टीम ने शानदार काम किया। सफल वापसी के बाद स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने भी बधाई दी। मस्क ने कहा कि स्पेसएक्स और नासा की टीमों ने एक और सुरक्षित अंतरिक्ष यात्री वापसी कराने में सफलता पाई है, इसके लिए बधाई। उन्होंने इस मिशन को प्राथमिकता देने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद भी दिया।
भारतवंशी अंतरिक्ष यात्री ने बनाए कई बड़े रिकॉर्ड्स
सुनीता विलियम्स ने आईएसएस पर इस बार अपना सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड बनाया। एक बार में 286 दिन तक अंतरिक्ष में रहकर सुनीता नासा की रिकॉर्ड बुक में भी अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। दरअसल, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की बात करें तो एक दौरे में सबसे ज्यादा दिन तक आईएसएस पर रहने का रिकॉर्ड अब तक फ्रैंक रूबियो के पास है। वहीं, मार्क वांडे हेई अब तक 355 दिन आईएसएस पर बिताए हैं। इसके बाद स्कॉट केली, महिला अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टिना कॉश और पेगी व्हिट्सन का नंबर है। इस लिहाज से एक दौरे में आईएसएस पर सबसे ज्यादा दिन बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में सुनीता विलियम्स छठे नंबर पर काबिज हो गई हैं। हालांकि, इसके लिए उन्होंने इस बार अंतरिक्ष यात्री एंड्रयू मॉर्गन का 272 दिन का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्षयान को वापस लौटने में 17 घंटे क्यों लगे?
नासा के अंतरिक्षयात्रियों बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स को लेकर वापस धरती पर लौटे स्पेसएक्स के अंतरिक्षयान ड्रैगन को 17 घंटे लगे। गौरतलब है कि रूस के सोयूज अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष से वापस लौटने में महज साढ़े तीन घंटे का ही वक्त लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ड्रैगन को इतना समय क्यों लगा? दरअसल मिशन की सुरक्षा के लिहाज से इतना समय लिया गया। साथ ही धरती पर मौसम का भी विश्लेषण किया गया, उसके बाद ही ड्रैगन समुद्र में उतरा।
पृथ्वी पर लौटने के बाद सुनीता-बैरी को क्या दिक्कतें आ सकती हैं?
1. फ्लू जैसी स्थिति, चलने में दिक्कतें
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर की वापसी बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाली है। पृथ्वी पर आईएसएस के मुकाबले माहौल काफी अलग है। दरअसल, अंतरिक्ष का माहौल जीरो ग्रैविटी वाला होता है। यानी यहां अंतरिक्ष यात्री एक कदम में कई फीट की दूरी पूरी कर लेते हैं। इतना ही नहीं कई मौकों पर तो उन्हें स्पेसशिप पर घंटों पैर भी नहीं रखना पड़ता। ऐसे में ठोस सतहों पर उनके पैरों की दबाव डालने की क्षमता कम हो जाती है और उनके पैरों में मौजूद मांसपेशियों का मोटा हिस्सा कम होता है। इसके चलते पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल की मौजूदगी की वजह से अब जब वे चलने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ठोस सतह पर पैर बढ़ाने में भी दिक्कतें आएंगी और कमजोरी महसूस होगी। साथ ही उन्हें अपने कदम छोटे-छोटे लगेंगे, जिसे 'बेबी फीट' कंडीशन कहा जाता है। इतना ही नहीं सुनीता और बैरी को पृथ्वी पर कुछ समय के लिए चक्कर आने और जी मिचलाने की शिकायत भी होगी। एक अंतरिक्ष यात्री टेरी विर्ट्स के मुताबिक, आईएसएस के जीरो ग्रैविटी माहौल से लौटने के बाद उन्हें अपना वजन काफी भारी लग रहा था। इतना ही नहीं उन्हें चक्कर भी आ रहे थे और उन्हें फ्लू जैसा संक्रमण महसूस हो रहा था। टेरी के मुताबिक, अंतरिक्ष से लौटने के बाद शरीर को पृथ्वी के माहौल में ढलने के लिए कम से कम एक हफ्ता लगता है। माना जा रहा है कि सुनीता और बैरी के लिए पूरी तरह पृथ्वी के माहौल में ढलने के लिए यह समय कुछ ज्यादा भी हो सकता है।
2. कमजोर दिल
द गार्डियन अखबार के मुताबिक, अंतरिक्ष में रहने के दौरान एस्ट्रोनॉट्स की हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जो कि जल्दी ठीक नहीं होता। इसके अलावा उनके शरीर में मांस भी कम होता है। इससे हाथ-पैर कमजोर होते हैं। यहां तक कि दिल पर भी इसका असर होता है, क्योंकि जहां पृथ्वी पर हृदय को खून का प्रवाह बनाए रखने के लिए गुरुत्वाकर्षण के उलट भी काम करना होता है, वहीं अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी में हृदय पर यह अतिरिक्त बल नहीं पड़ता। चूंकि सुनीता विलियम्स लंबे समय तक अंतरिक्ष में रही हैं, इसलिए उनका दिल फिलहाल जीरो ग्रैविटी में काम करने का आदि हो गया है। उसे खून को शरीर के हर अंग में पहुंचाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। अब जब वे पृथ्वी पर लौटेंगी तो उनके दिल को गुरुत्वाकर्षण बल के खिलाफ भी खून का प्रवाह बनाना होगा। यानी उनके कमजोर दिल को फिर से पृथ्वी के हिसाब से मजबूती दिखानी होगी। इसमें कई बार काफी समय लगता है और शरीर के हर अंग तक खून का प्रवाह समय पर बन नहीं पाता। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में खून का थक्का जमने (ब्लड क्लॉटिंग) का खतरा बढ़ जाता है।
3. दिमाग पर असर
इतना ही नहीं जीरो ग्रैविटी वाले माहौल से पृथ्वी पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में मौजूद फ्लुइड दिमाग के आसपास इकट्ठा होने लगता है। इसके चलते उन्हें फ्लू का अहसास होता है। एस्ट्रोफिजिसिस्ट एलन डफी के मुताबिक, इस फ्लुइड की वजह से अंतरिक्षयात्रियों की आंखों की पुतली का आकार बदल जाता है और उन्हें देखने में दिक्कतें आती हैं। पृथ्वी पर लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को कई बार चश्मे की जरूरत भी पड़ती है।
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