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CDS जनरल अनिल चौहान ने 6 भारतीय फाइटर जेट गिराने के पाकिस्तानी दावे को किया खारिज
By Lokjeewan Daily - 31-05-2025

सिंगापुर | पाकिस्तान द्वारा 6 भारतीय फाइटर जेट गिराने के दावे को भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में स्पष्ट कहा – “मुद्दा यह नहीं कि कितने विमान गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा।” यह बयान उस समय आया है जब भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई के तहत हुआ था।
पाकिस्तान के दावे का खंडन
पाकिस्तान के इस दावे कि उसने संघर्ष के दौरान 6 भारतीय लड़ाकू विमान गिराए, को CDS चौहान ने "बिल्कुल गलत" बताया। उन्होंने कहा:
"गिनती मायने नहीं रखती। मायने यह रखता है कि हमने क्या सीखा और कैसे प्रतिक्रिया दी।"
जनरल चौहान के अनुसार भारत ने शुरुआती नुकसानों से तेजी से सबक लिया और 48 घंटे के भीतर अत्यधिक सटीकता से दुश्मन के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
'परमाणु हथियारों का खतरा नहीं था'
जनरल चौहान ने स्पष्ट किया कि इस संघर्ष में कभी भी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की नौबत नहीं आई, जो कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा दृष्टिकोण से एक राहत भरी बात है।
पाकिस्तान के साथ संबंध: 'अब रणनीति के बिना कोई कदम नहीं'
CDS चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग में ‘भविष्य के युद्ध’ विषय पर बोलते हुए भारत की रणनीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा:
"पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते का दौर खत्म हो चुका है। अब भारत बिना रणनीति के कोई कदम नहीं उठाता।"
उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में पाक पीएम नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण में बुलाकर दोस्ती की पहल की थी, लेकिन बदले में सिर्फ दुश्मनी मिली।
"ताली एक हाथ से नहीं बजती।" — CDS चौहान
पाकिस्तान से आगे निकला भारत
CDS ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 1947 में पाकिस्तान कई मामलों में भारत से आगे था – जैसे GDP, सामाजिक विकास, प्रति व्यक्ति आय। लेकिन अब भारत हर मोर्चे पर आगे है। यह बदलाव उन्होंने "किसी संयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक सोच" का परिणाम बताया।
'ऑपरेशन सिंदूर' में स्वदेशी तकनीक का प्रभावशाली इस्तेमाल
CDS चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने इस पूरे ऑपरेशन के दौरान विदेशी तकनीक पर निर्भर हुए बिना, स्वदेशी मिसाइल सिस्टम और रडार नेटवर्क का इस्तेमाल किया।
"हमने ‘आकाश मिसाइल सिस्टम’ और देशी वायु रक्षा नेटवर्क के जरिए अपने संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल किया।"
इससे यह संदेश गया कि भारत अब आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा चुका है।
सूचना युद्ध और अफवाहों से जंग
जनरल चौहान ने कहा कि आज के युद्ध सिर्फ मैदानों में नहीं, बल्कि जानकारी और अफवाहों के मोर्चे पर भी लड़े जाते हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना को गलत सूचनाओं और अफवाहों से जूझना पड़ा।
एक दिलचस्प उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जब वरिष्ठ अधिकारी ऑपरेशन में व्यस्त थे, तब मीडिया को जानकारी देने के लिए दो महिला अधिकारियों को मोर्चा संभालना पड़ा।
साइबर युद्ध और तकनीकी सुरक्षा
जनरल चौहान ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच साइबर हमले भी हुए, लेकिन भारत की सैन्य प्रणालियां इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं, जिससे वे सुरक्षित रहीं।
"हमारी संचार और सैन्य प्रणाली संरक्षित नेटवर्क पर चलती है, जो इंटरनेट से नहीं जुड़ी होती।"
रणनीतिक वापसी: युद्ध के बाद फौरन पीछे हटना
CDS ने एक और महत्वपूर्ण पहलू साझा किया – जैसे ही ऑपरेशन पूरा हुआ, भारत ने तुरंत अपनी सेनाएं पीछे हटा लीं। उन्होंने कहा:
"लंबे समय तक सेना की तैनाती से आर्थिक बोझ पड़ता है और विकास पर असर होता है।"
इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब सिर्फ सैन्य नहीं, आर्थिक रणनीति को भी युद्ध का अभिन्न हिस्सा मानता है।
अंतरराष्ट्रीय संवाद: कई देशों से मुलाकात
शांगरी-ला डायलॉग के दौरान जनरल चौहान ने जापान, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के रक्षा अधिकारियों से मुलाकात की। इन बैठकों का उद्देश्य आने वाले युद्धों की प्रवृत्तियों पर संवाद और रणनीतिक समन्वय बढ़ाना था।
निष्कर्ष: अब भारत ‘रिएक्टिव’ नहीं, ‘प्रोएक्टिव’ रणनीति पर
जनरल चौहान के इस पूरे संवाद का निष्कर्ष स्पष्ट है – भारत अब अपने शत्रुओं की चालों पर सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि पहले से रणनीति बनाकर आगे बढ़ता है।
पाकिस्तान के साथ रिश्तों का स्वरूप अब पूरी तरह बदल चुका है और भारत अब न सिर्फ युद्ध के मैदान में, बल्कि कूटनीति, साइबर और सूचना युद्धों में भी पूरी तैयारी के साथ उतरता है।

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