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मुंबई । हर साल जब गणेश चतुर्थी का त्योहार आता है तो मुंबई की गलियों से लेकर मंदिरों तक एक अलग ही रौनक दिखाई देती है। ढोल-ताशों की गूंज, बप्पा के स्वागत में लगने वाले जयघोष, फूलों से मंडलों की सजावट और उन्हें देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़, ये सब मिलकर इस त्योहार को बेहद खास बना देते हैं।
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार करता है। ऐसे में जब बात मुंबई की गणेश चतुर्थी की होती है तो सबसे पहला नाम जो हर किसी की जुबान पर आता है, वह है लालबागचा राजा मंदिर का।
मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल लालबागचा राजा लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। लालबाग परेल क्षेत्र स्थित यह पंडाल हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान दुनियाभर से भक्तों को अपनी ओर खींचता है। यहां श्रद्धालु न सिर्फ दर्शन के लिए, बल्कि मन की मुरादें पूरी करने की आस लेकर दूर-दूर से आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे दिल से लालबागचा राजा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद जरूर पूरी होती है। इसलिए तो इन्हें 'मन्नतों का राजा' भी कहा जाता है।
हर साल की तरह बड़ी और और मशहूर हस्तियों के साथ-साथ हजारों लाखों की संख्या में भक्त यहां बप्पा के दर्शन करने आ रहे हैं। इस बार यहां गणपति की 22 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है।
लालबागचा राजा मंडल के उपाध्यक्ष सिद्धेश कोरगावकर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "यह लालबाग इलाके का सबसे पुराने गणपति हैं। इस बार उनकी 22 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है।"
उन्होंने कहा कि मूर्ति और इसकी सजावट में रामेश्वरम की थीम को दर्शाया गया है, जिसमें हनुमानजी रामेश्वरम से भगवान शंकर का पिंड लेकर आते हैं।
लालबागचा राजा मंडल की स्थापना साल 1934 में हुई थी। दरअसल, करीब नौ दशक पहले कुछ मछुआरों और दुकानदारों ने मिलकर बप्पा से बाजार के लिए एक पक्की जगह मिलने की मन्नत मांगी थी। जब उनकी यह मन्नत पूरी हुई तो उन्होंने आभार स्वरूप एक छोटी सी गणेश मूर्ति स्थापित की। वहीं से यह परंपरा शुरू हुई और आज 91 साल बाद भी पूरी आस्था के साथ निभाई जा रही है।
लालबागचा राजा के दर्शन के लिए दो मुख्य कतारें होती हैं। एक होती है 'नवसाची लाइन', जिसमें वे लोग लगते हैं जो अपनी किसी विशेष मन्नत लेकर बप्पा के चरणों तक जाना चाहते हैं। इस लाइन में दर्शन के लिए 25 से 40 घंटे तक का समय भी लग सकता है। दूसरी लाइन होती है "मुखदर्शन लाइन", जिसमें भक्त बप्पा को दूर से देख सकते हैं। यह लाइन अपेक्षाकृत छोटी होती है। कई बार यहां 4 से 5 घंटे लग जाते हैं।
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