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30 अगस्त को मनाया जाएगा बछ बारस, पुत्र की दीर्घायु के लिए महिलाएं करती हैं व्रत
By Lokjeewan Daily - 28-08-2024

बछ बारस 30 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है। माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर तलाई फोड़ने के बाद लड्डू का प्रसाद देती है यानि पुत्रवान महिलाये अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नही खाये जाते हैं। बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है। महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है। महिलाओं द्वारा सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुंकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछबारस की कहानी सुनी जाती है।

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पूजा के लिए भैंस का दूध और दही, भीगा हुआ चना और मोठ ले। मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिलाये ।गाय के रोली का टीका लगाकर चावल के स्थान पर बाजरा लगाये। बायने के लिए एक कटोरी में भीगा हुआ चना , मोठ ,बाजरा और रुपया रखे। इस दिन बछड़े वाले गाय की पूजा की जाती है यदि गाय की पूजा नही कर सकते तो एक पाटे पर मिटटी से बछबारस बनाते है और उसके बीच में एक गोल मिटटी की बावडी बनाते है। फिर उसको थोडा दूध दही से भर देते है। फिर सब चीजे चढाकर पूजा करते है। इसके बाद रोली ,दक्षिण चढाते है। स्वयम को तिलक निकालते है। हाथ में मोठ और बाजरे के दाने को लेकर कहानी सुनाते है। बछबारस के चित्र की पूजा भी की जा सकती है।

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