It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
मार्गशीर्ष (अगहन) माह की अमावस्या का पावन पर्व रविवार, 1 दिसंबर को मनाया जाएगा। इसे हिंदू धर्म में स्नान-दान और पूजा-अर्चना के लिए विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में पवित्र नदियों विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान करेंगे और दान-पुण्य कर अपने जीवन को पवित्र बनाएंगे। अमावस्या तिथि को पितरों का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कर्मों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर शुभ प्रभाव पड़ता है। श्राद्ध के लिए अमावस्या शनिवार यानी 30 नवंबर को होगी, जबकि स्नान दान की अमावस्या रविवार, 1 दिसंबर को सभी जगह मनाई जाएगी। गंगा स्नान के साथ श्रद्धालु पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। इसके अलावा यह दिन सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है।
गंगा स्नान और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व
अमावस्या के इस पावन दिन पर श्रद्धालु तड़के ही गंगा और अन्य पवित्र नदियों के घाटों पर पहुंचते हैं। स्नान के बाद भगवान सूर्य, शिव और विष्णु की पूजा की जाती है। पितरों की तृप्ति के लिए जल में तिल, कुश और पवित्र सामग्री डालकर तर्पण किया जाता है। इसके अलावा दीप जलाकर पवित्र नदियों में प्रवाहित करने की परंपरा भी है। इसका विशेष महत्व है।
दान का महत्व
अमावस्या पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। श्रद्धालु अन्न, वस्त्र, तेल, तिल, गुड़, फल, मिष्ठान और जरूरतमंदों को भोजन दान करते हैं। पंडितों, ब्राह्मणों और गरीबों को दान देने के साथ गायों को चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है।
रविवार का विशेष योग
इस बार अमावस्या का दिन रविवार को पड़ रहा है, इसे ज्योतिष में खास शुभ योग माना गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रविवार को अमावस्या पर गंगा स्नान और दान करने से सूर्य देव की विशेष कृपा बरसती है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक मान्यता और आधुनिक समाज
आज के समय में भी अमावस्या का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण और सामाजिक सेवा से भी जुड़ा हुआ है। लोग इस दिन नदी सफाई अभियानों और सामूहिक दान कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं। स्नान-दान की यह अमावस्या न केवल आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की कामना का पर्व है, बल्कि यह समाज को दान और सेवा की प्रेरणा भी देती है। श्रद्धालुओं का यह उत्साह और श्रद्धा अमावस्या को एक महत्वपूर्ण पर्व बनाता है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है।
कोटपूतली-बहरोड़ जिले की नगर पालिका EO के 8 ठिकानों पर ACB की रे . . .
2025-06-17 11:42:18
राजस्थान: कड़ी सुरक्षा के बीच आरएएस भर्ती मुख्य परीक्षा . . .
2025-06-17 11:38:01
केन्द्र सरकार ने राजस्थान की 40 सड़क परियोजनाओं के लिए 1914 करोड़ र . . .
2025-06-16 13:15:34
पायलट राजवीर सिंह चौहान का अंतिम संस्कार : लेफ्टिनेंट-कर्नल पत्नी . . .
2025-06-17 11:35:53
जयपुर एयरपोर्ट:180 यात्री परेशान होते रहे; ईरानी एयरस्पेस बंद, शा . . .
2025-06-17 11:20:42
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी जायेंगे फ्रांस और जर्मन . . .
2025-06-16 13:17:17