It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
आज फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत है, यह व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस व्रत को कामना पूर्ति के लिए खास माना गया है। कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत पूरे वर्ष भर चलने वाला व्रत होता है तो आइए हम आपको फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
कामदा सप्तमी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने के सातवें दिन मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है, जो हिंदू सूर्य के देवता हैं। इस त्यौहार को चैत्र शुक्ल सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्यौहार का विशेष महत्व है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान सूर्य इस दिन अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनके सभी पापों को दूर करते हैं। यह त्यौहार भारत के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है और कामदा सप्तमी व्रत का पालन भगवान सूर्य के प्रति भक्ति दिखाने और उनका आशीर्वाद पाने का एक तरीका माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक शुक्ल सप्तमी को किया जाता है और हर चौमासे अर्थात् हर चार माह में इस व्रत का पारण करना चाहिए। इस साल फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत 6 मार्च को रखा जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जीवन उसके जन्म कुण्डली पर निर्भर करता है। जिन व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य नीच स्थान पर होता है उनके जीवन में काफी परेशानियां और धन आदि की हानि होती है। कामदा सप्तमी व्रत करने से इन सभी परेशानियों से निजात मिलता है। कामदा सप्तमी व्रत करने से व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य बलवान होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत के दौरान व्रत रखने और अनुष्ठान करने से व्यक्ति की इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने में मदद मिलती है। इस त्योहार को देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने और अपने मन और शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के अवसर के रूप में भी देखा जाता है। भक्ति और आत्म-अनुशासन को बढ़ावा देने में कामदा सप्तमी व्रत की भूमिका कामदा सप्तमी व्रत के दौरान उपवास करना खुद को शुद्ध करने और देवी-देवताओं के प्रति भक्ति दिखाने का एक तरीका माना जाता है। इस त्योहार को आत्म-अनुशासन का अभ्यास करने और अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करने के अवसर के रूप में भी देखा जाता है। व्रत रखने और अनुष्ठानों को ईमानदारी और समर्पण के साथ करने से, भक्त ईश्वर के साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने और अपने समग्र कल्याण में सुधार करने का लक्ष्य रखते हैं।
फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, “खखोल्काय नमः” मन्त्र से सूर्य भगवान की पूजा करें और अष्टमी को तुलसी दल के समान अर्क के पत्तों का सेवन करें। प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा करें सारा दिन “सूर्याय नमः” मन्त्र से भगवान का स्मरण करें। अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन करें। सूर्य भगवान् का पूजन करें आज घी, गुड़ इत्यादि का दान करें और दूसरे दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है।
जानें फाल्गुन कामदा सप्तमी व्रत की पौराणिक कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार देवी पार्वती को कामदा सप्तमी की कहानी सुनाई थी। ऐसा कहा जाता है कि कामदा नाम की एक पवित्र और गुणी महिला ने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ कामदा एकादशी व्रत का पालन किया था। उसने भगवान विष्णु से अपने पति को अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना सुनी गई और उसके पति को जीवन में सभी अच्छी चीजों का आशीर्वाद मिला। तब से, कामदा सप्तमी हर साल भगवान विष्णु के प्रति तपस्या और भक्ति के दिन के रूप में मनाई जाती है।
राजस्थान के सिरोही में आदिवासी महिलाएं तैयार कर रहीं हर्बल गुलाल . . .
2025-03-11 14:31:42
राजस्थान विधानसभा - पुलिस अवकाश पर तकरार, उद्योग नीति पर तंज और ख . . .
2025-03-11 14:26:51
अधीक्षण अभियंता अविनाश शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी, करोड़ों की स . . .
2025-03-11 14:25:39
श्री गलताजी तीर्थ में दिव्यता और भव्यता की अनुभूति : मुख्यमंत्री . . .
2025-03-11 14:28:32
गलता जी में अवध- ब्रज फागोत्सव के साथ ही सोमवार को विभिन्न आयोजन . . .
2025-03-10 12:43:15
राजस्थान बोर्ड 10वीं की परीक्षा साल में 2 बार कराएगा! . . .
2025-03-10 12:37:03