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महा कवि नीरज की होली पर कविता :
By Lokjeewan Daily - 12-03-2025

*करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है*

*हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है*

*किसी को याद करते ही अगर बजते सुनाई दें*

*कहीं घुँघरू कहीं कंगन, समझ लेना कि होली है*

*कभी खोलो अचानक , आप अपने घर का दरवाजा*

*खड़े देहरी पे हों साजन, समझ लेना कि होली है*

*तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें*

*उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है*

*हमारी ज़िन्दगी यूँ तो है इक काँटों भरा जंगल*

*अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है*

*बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की*

*जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना कि होली है*

*अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लो 'नीरज'*

*हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना किf होली है*

*होली की हार्दिक शुभकामनाएं*

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