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जयपुर का बिरला मंदिर: आधुनिक वास्तुकला में आध्यात्मिकता की चमक
By Lokjeewan Daily - 09-07-2025

राजस्थान की राजधानी जयपुर, जहां परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, वहां का बिरला मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि वास्तुकला का भी बेहतरीन नमूना है। यह मंदिर मोती डूंगरी की तलहटी पर स्थित है और इसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। संगमरमर से निर्मित यह भव्य मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता 

इस मंदिर की सबसे रोचक बात यह है कि यह ज़मीन जयपुर के तत्कालीन महाराजा ने बिरला परिवार को केवल एक रुपये में दान दी थी। इस जमीन पर मंदिर निर्माण की शुरुआत 1985 में हुई और मात्र तीन वर्षों में 1988 तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति बिरला परिवार द्वारा कराया गया था, जो देशभर में ऐसे कई भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी, धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित है। मंदिर में इन दोनों मूर्तियों के साथ भगवान गणेश की पारदर्शी मूर्ति भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। जैसे ही कोई श्रद्धालु मंदिर के अंदर प्रवेश करता है, सबसे पहले गणेश जी की मनोहारी मूर्ति के दर्शन होते हैं। इसके बाद गर्भगृह में विष्णु और लक्ष्मी जी की सुंदर संगमरमर की मूर्तियां विराजमान हैं, जो वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित हैं।

जयपुर का बिरला मंदिर पारंपरिक मंदिरों से थोड़ा अलग है। यह आधुनिक स्थापत्य शैली में निर्मित है लेकिन इसमें आध्यात्मिक सौंदर्य की पूर्णता दिखाई देती है। सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर दूर से ही अपनी चमक से ध्यान आकर्षित करता है। मंदिर के तीन विशाल गुंबद हिंदू धर्म के तीन प्रमुख संप्रदायों का प्रतीक माने जाते हैं — वैष्णव, शैव और शक्त। इसके अलावा, मंदिर के मुख्य द्वार पर पौराणिक कथाओं को दर्शाते हुए सुंदर कांच की खिड़कियां और शिल्पकला की छवियां उकेरी गई बिरला मंदिर के परिसर में एक संग्रहालय भी स्थित है, जिसमें बिरला परिवार के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाई गई वस्तुएं रखी गई हैं। यह संग्रहालय सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। पर्यटकों के लिए यहां प्रवेश निशुल्क है, जिससे हर वर्ग के लोग आसानी से यहां की संस्कृति और इतिहास से जुड़ सकते हैं।

गर्मियों में बिरला मंदिर सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम को 3:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है, जबकि सर्दियों में यह सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 3:00 बजे से रात 8:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। प्रतिदिन दोपहर 12:00 से 3:00 बजे तक मंदिर बंद रहता है। वहीं, मंदिर की मंगल आरती सुबह मौसम के अनुसार गर्मियों में 6:00 बजे और सर्दियों में 6:30 बजे होती है, जो श्रद्धालुओं को एक दिव्य अनुभव देती 

यह मंदिर जयपुर के जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर स्थित है, जो तिलक नगर क्षेत्र में आता है। जयपुर रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से यहां तक आसानी से टैक्सी, ऑटो या निजी वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर जयपुर भ्रमण करने वाले हर पर्यटक के यात्रा कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए।

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