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श्रावण मास : शिव भक्ति और तीज-त्यौहारों का पवित्र महीना
By Lokjeewan Daily - 11-07-2025

मुंबई। शिव भक्तों के लिए अति पावन श्रावण मास 2025 में एक बार फिर दो अलग-अलग तिथियों से शुरू हो रहा है, जो देश में प्रचलित पूर्णिमांत और अमांत चंद्र मास गणना प्रणालियों के कारण है। यह पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना, विविध व्रतों और कई महत्वपूर्ण तीज-त्यौहारों का संगम लेकर आता है। श्रावण मास की आरंभ तिथियां।

पूर्णिमांत चक्र के अनुसार: उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और राजस्थान में श्रावण मास 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से शुरू होगा। इस प्रणाली में चंद्र मास पूर्णिमा के बाद से गिना जाता है।

अमांत चक्र के अनुसार: वागड़, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गोवा, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में श्रावण मास 25 जुलाई 2025, शुक्रवार से प्रारंभ होगा। इस प्रणाली में चंद्र मास अमावस्या के बाद से शुरू होता है।
पूरे श्रावण मास में शिव भक्त विशेष रूप से व्रत रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। यह महीना केवल शिव भक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण तिथि-आधारित उपवास और त्यौहार भी मनाए जाते हैं।

श्रावण मास के प्रमुख व्रत और त्यौहार:
शुक्ल प्रतिपदा: रोटक व्रत
शुक्ल द्वितीया: औदुम्बर व्रत
शुक्ल तृतीया: स्वर्ण गौरी व्रत, हरियाली तीज (विशेषकर विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण)
शुक्ल चतुर्थी: दूर्वा गणपति व्रत
शुक्ल पंचमी: नाग पंचमी (नाग देवताओं की पूजा का पर्व)
शुक्ल षष्ठी: सुपोदान व्रत
शुक्ल सप्तमी: शीतला सप्तमी व्रत
शुक्ल अष्टमी: देवी पवित्ररोपण
शुक्ल नवमी: कुमारी व्रत
शुक्ल दशमी: आशा दशमी व्रत
शुक्ल एकादशी: श्रीधर व्रत, भगवान विष्णु एकादशी व्रत
शुक्ल द्वादशी: भगवान विष्णु पवित्ररोपण
शुक्ल त्रयोदशी: कामदेव षोडश पूजा
शुक्ल चतुर्दशी: शिव पूजा
पूर्णिमा: रक्षा बंधन (भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार), हयग्रीव जयंती, श्रावणी कर्म
कृष्ण तृतीया: कजरी तीज
कृष्ण चतुर्थी: संकट चतुर्थी व्रत, बहुला चतुर्थी
कृष्ण पंचमी: मानव कल्पादि व्रत
कृष्ण षष्ठी: बलराम जयंती
कृष्ण अष्टमी: कृष्ण जन्माष्टमी व्रत (भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव)
कृष्ण चतुर्दशी: श्रावण शिवरात्रि व्रत
अमावस्या: पिठोर व्रत
श्रावण मास का प्रत्येक दिन किसी न किसी धार्मिक महत्व से जुड़ा होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य लाभ प्रदान करता है। यह महीना भारतीय संस्कृति में आस्था, परंपरा और उत्सवों का प्रतीक है।

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