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दर्श अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा से मिलता है विशेष लाभ
By Lokjeewan Daily - 19-11-2025

आज दर्श अमावस्या है, मार्गशीर्ष मास में आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या कहते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, विष्णु पूजा और पितरों के लिए तर्पण करने की खास परंपरा है। पितरों के तर्पण के लिए दर्श अमावस्या बेहतर होता हैमार्गशीर्ष मास भगवान कृष्ण का प्रिय महीना है। इसमें भगवान श्री कृष्ण की सच्चे मन से पूजा करने पर उनके आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मास की अमावस्या तिथि को पितृ दोष शांति का उपाय करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान और दान करते हैं। साथ ही, पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर कई दुर्लभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या के साथ दर्श अमावस्या भी लग रही है, क्योंकि इसकी तिथि दो दिन है।इस दिन को पितरों के तर्पण और गरीबों की मदद के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है, ताकि व्यक्ति अपनी कड़ी मेहनत, पूजा और ध्यान के माध्यम से आशीर्वाद और पुण्य प्राप्त कर सके। मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष मास को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, जैसा कि भगवान ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है- मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस कारण इस महीने की अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।

पंडितों के अनुसार का दिन बहुत खास होता है इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर, साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव और माता को पार्वती की फोटो रखकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें। साथ ही भगवान शिव एवं माता पार्वती का जलाभिषेक करें और प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। 

 

दर्श अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं भी हैं खास

अगहन अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या दीपावली जैसा ही है। इस तिथि पर किए गए धर्म-कर्म से भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और पितरों की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह तिथि विशेष रूप से पितरों को समर्पित है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितर देवता पितृलोक से धरती पर आते हैं और अपने कुटुंब के लोगों के घर जाते हैं। इसलिए इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें अमावस्या पर पितरों से जुड़े धर्म-कर्म जरूर करना चाहिए।

इस तिथि पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है। इस दिन अपने इष्टदेव की पूजा करें। मंत्र जप करें। अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें। मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास है, इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा जरूर करें। पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। बाल गोपाल का अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।

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