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नवंबर में जीएसटी संग्रह 1.7 लाख करोड़ रुपये पर, कर दरों में कटौती का दिखा असर
By Lokjeewan Daily - 02-12-2025

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह नवंबर में सालाना आधार पर केवल 0.7 प्रतिशत बढ़कर 1.70 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले एक साल का निचला स्तर है। अधिकांश उत्पादों एवं सेवाओं पर कर दरों में कटौती के बावजूद खपत में सुधार जारी है। सोमवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। सरकार ने 22 सितंबर से जीएसटी की पांच और 18 प्रतिशत की केवल दो कर दरें ही लागू की थीं। हालांकि, विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर की एक विशेष दर भी तय की गई है। कर दरों में कटौती और त्योहारी मौसम में जबर्दस्त खरीदारी से अक्टूबर में जीएसटी संग्रह बढ़ा था।

इस लिहाज से नवंबर के आंकड़े त्योहारी मौसम बीतने के बाद भी खपत में आई तेजी को दर्शाते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में कुल जीएसटी संग्रह (बिना उपकर के) 1.70 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के समान महीने में 1.69 लाख करोड़ रुपये से मामूली वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, अक्टूबर महीने के 1.96 लाख करोड़ रुपये संग्रह से यह काफी कम है। लेकिन अक्टूबर के आंकड़ों में क्षतिपूर्ति उपकर भी शामिल थे। उपकर को शामिल किए जाने पर नवंबर का कुल कर संग्रह 1.74 लाख करोड़ रुपये रहा लेकिन यह नवंबर, 2024 के 1.82 लाख करोड़ रुपये से 4.22 प्रतिशत कम है। जीएसटी की नई व्यवस्था लागू होने के बाद से क्षतिपूर्ति उपकर सिर्फ तंबाकू एवं पान मसाला उत्पादों पर ही लगता है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि नवंबर के जीएसटी संग्रह आंकड़े तैयार करते समय उपकर को शामिल नहीं किया गया है। एक सूत्र ने कहा कि कंपनियों की तरफ से दाखिल जीएसटी रिटर्न में कर-योग्य आपूर्ति का मूल्य सालाना आधार पर बढ़ने से एक आशावादी रुझान झलकता है। सूत्र ने कहा, ‘‘बढ़ी खपत दर्शाती है कि जीएसटी कटौती का असर सकारात्मक है। इसी वजह से हमें भरोसा है कि यह कर सुधार न सिर्फ अभी के लिए टिकाऊ रहेगा, बल्कि आने वाले समय में भी इसका अर्थव्यवस्था पर कई गुना बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’’ नवंबर में घरेलू राजस्व 2.3 प्रतिशत घटकर 1.24 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि आयात से राजस्व 10.2 प्रतिशत बढ़कर 45,976 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस अवधि में रिफंड चार प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,196 करोड़ रुपये रहा। रिफंड को समायोजित करने के बाद शुद्ध जीएसटी संग्रह 1.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर 1.3 प्रतिशत अधिक है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने संभावना जताई कि अधिकांश उत्पादों पर कर दरों में कटौती के असर को खपत में वृद्धि निष्प्रभावी कर सकती है।

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