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कोलकाता । कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष के घर ईडी गुरुवार की सुबह से छापेमारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने का घोष को अधिकार नहीं है
घोष ने कहा कि वह जांच के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि आरजी कर बलात्कार की घटना से उन्हें जोड़ना अन्याय है।
आरजी कर हॉस्पिटल की वित्तीय अनियमितता के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने के बाद ईडी ने यह कार्रवाई की है।
ज्ञात हो कि मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में संदीप घोष पहले से ही सीबीआई कस्टडी में हैं।
इससे पहले राज्य स्वास्थ्य विभाग ने 3 सितंबर को संदीप घोष को निलंबित कर दिया था।
स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आदेश में घोष के निलंबन की घोषणा की थी। इस आदेश पर स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम की बजाय विभाग में विशेष कार्य अधिकारी के हस्ताक्षर थे।
आदेश में कहा गया था, "कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष के खिलाफ चल रही आपराधिक जांच के मद्देनजर, घोष को पश्चिम बंगाल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1971 के नियम 7(1सी) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।"
हालांकि, चिकित्सा बिरादरी के प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार की देर से की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है। राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार की घोष को बचाने के लिए पहले से ही आलोचना हो रही है।
घोष को 16 दिनों की पूछताछ के बाद 2 सितंबर की शाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया। मंगलवार को एक अदालत ने उन्हें आठ दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया।
घोष के खिलाफ सीबीआई दो समानांतर जांच कर रही है। एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का मामला है जबकि दूसरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। उन्हें इसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया था।
संस्थान में महिला डॉक्टर के शव की बरामदगी के कुछ दिन बाद घोष ने आर.जी. कर के प्रिंसिपल पद के साथ-साथ राज्य चिकित्सा सेवाओं से भी इस्तीफा देने की घोषणा की। हालांकि, उसी दिन उनके इस्तीफे को स्वीकार करने की बजाय, स्वास्थ्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर घोष को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (सीएनएमसीएच) का प्रिंसिपल नियुक्त करने की घोषणा की, जिसकी हर तरफ से आलोचना हुई। इस कदम के बाद घोष और राज्य सरकार दोनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई। राज्य सरकार पर घोष को बचाने का आरोप लगाया गया।
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