It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.

Please update to continue or install another browser.

Update Google Chrome

जायज है वोट प्रतिशत घटने की चिंता
By Lokjeewan Daily - 30-04-2024

नवीन कुमार पाण्डेय | 

लोकसभा चुनाव के दो चरण बीत चुके हैं। अब तक का मतदान प्रतिशत 2019 चुनाव के पहले दो चरणों के मुकाबले कम रहा है। इसलिए, देश के चुनावी पंडितों को तरह-तरह के पासे फेंकने का मौक मिल गया है। जानते ही हैं, जब तक चयनकर्ता क्रिकेट टीम का चयन नहीं कर दे तब तक हर कोई चयनकर्ता ही बन जाता है। इसी तरह, लोकसभा चुनाव आते ही हर भारतीय चुनाव विश्लेषक बन जाता है। उन्हें अपनी प्रतिभा और भरपूर राजनीतिक 'अंतर्दृष्टि' पर गौरव होता है, लेकिन भविष्यवाणी में तथ्यों की भारी कमी रहती है।
वे वोट क्यों देते हैं?

जानकारी हवा की रफ्तार से फैलती है। लिविंग रूम और कार्यस्थलों में, कॉलेज कैंटीन और अकादमिक गहन अध्ययन में, सर्वेक्षणकर्ताओं और पत्रकारों, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच, कैब और ऑटोवालों के बीच गहन चुनावी चर्चा होती है। जो मतदाता नहीं हैं, वो भी चुनावों में खूब दिलचस्पी दिखाते हैं। इस साल चुनावी चर्चा का प्रमुख बिंदु है- मतदान कम क्यों हो रहा है? इसका क्या मतलब हो सकता है? 2019 में रिकॉर्ड 67.4% मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया था। CSDS-लोकनीति सर्वेक्षणों से पता चला है कि पिछले चुनावों में शहरी मध्य वर्ग ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। लेकिन यह कहा जा रहा है कि इस साल वह जोश नहीं दिख रहा है। आम मतदाताओं को सलाम, जो सुनिश्चित करते हैं कि हर चुनाव पिछले चुनाव जैसा न हो।

वे मतदान क्यों नहीं करते?

इस साल मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने का बहुत ज्यादा प्रयास किया जा रहा है। क्या मतदान करने के लिए लगातार दबाव डालना निराशाजनक है? क्या मतदान करने के आपके 'कर्तव्य' को लेकर ज्यादा ही ढिंढोरा पीटा जा रहा है? क्या घटिया किस्म का राजनीतिक विमर्श वोटिंग में बाधा बन सकता है? क्या 44 दिनों तक चलने वाले चुनावों में वोटिंग प्रक्रिया थकाऊ हो गई है? क्या कम संख्या में मतदाताओं के घर से निकलने में गर्मी की भी भूमिका है? क्या रिकॉर्ड समय में दल बदलने वाले सिद्धांतहीन राजनेताओं के कारण वोटरों का उत्साह कम होता है? क्या मतदान की प्रक्रिया में भरोसा डगमगा रहा है? क्या टीवी पर चल रहे तमाशों वोटर दुखी हो रहे हैं? क्या उम्मीदवार अच्छे नहीं हैं? क्या ऐसे बहुत ज्यादा अपराधी और बदमाश हैं, जिनका प्रभाव इतना है कि वे जेल से बाहर रह सकते हैं?
सच में वोट कम हो रहा है?

मतदाता वोट क्यों देते हैं? इसके पीछे कई कारण हैं। हाल ही में जाति, पंथ और धर्म के कारण भी वोटिंग हुई है। अगर 2014 को 'विकास' के आह्वान के रूप में देखा गया था, तो 2019 का मतदान मतदाताओं की प्रेरित लामबंदी थी। इस साल अब तक, राजनीतिक दल और चुनाव आयोग अधिक से अधिक लोगों को मतदान केंद्रों तक लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मतदाताओं की खेमेबंदी पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है। कई लोग राजनीतिक रूप से बहुत तगड़े दिखते हैं। पार्टियों और विरोधों के लिए समर्थन तेजी से जारी है। फिर भी ऐसा लगता है कि कम लोग मतदान कर रहे हैं।

लेकिन क्या यह सच है भी?

मतदाताओं का आकार बढ़ा है। 2019 में 89.6 करोड़ मतदाता थे, अब बढ़कर 96.88 करोड़ हो गए। यानी इस वर्ष 7.28 करोड़ मतदाता जुड़े हैं। इससे सवाल उठता है कि क्या 60% के आसपास मतदान को वास्तव में 'कम' कहा जा सकता है? शायद यही एकमात्र सवाल है जो हमें इस समय पूछने की जरूरत है। इस सवाल का जवाब ढूंढने जाएं तो दो आंकड़े सामने आते हैं- पहला इस बार 8.12 प्रतिशत वोटर ज्यादा है और वोट प्रतिशत 6 प्रतिशत के आसपास कम हुआ है। इससे साफ है कि देखें तो 2019 के लिहाज से इस बार के चुनाव में वोट डालने वालों की संख्या ज्यादा है

अन्य सम्बंधित खबरे