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Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
नई दिल्ली, दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का दौर आज शाम समाप्त हो जाएगा। पिछले एक महीने में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने पूरा दमखम लगाकर माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कई रैलियों के जरिए दिल्ली में भाजपा का वनवास खत्म करने के लिए माहौल भगवामय बनाने का प्रयास किया। रविवार को आरके पुरम में भी उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया और जीत का पूरा भरोसा जाहिर किया। उन्होंने वोटिंग के दिन भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों से 'थाली-घंटी और ढोल' वाली एक अपील भी की, जिसकी खूब चर्चा हो रही है।
क्या कहा प्रधानमंत्री ने?
पीएम मोदी ने वोटिंग के लिए दिन के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी कि वे अपने साथ भाजपा समर्थकों को बूथ तक लेकर जाएं। पीएम ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता दिल्ली को आपदा से मुक्ति दिलाने के लिए 5 फरवरी को अपने साथ कम से कम 5 भाजपा समर्थकों को लेकर पोलिंग तक जाएं और भाजपा को वोट दिलाएं। पीएम ने कहा, 'लोकतंत्र एक उत्सव है। चुनाव के दिन 20-25 की टोली में वोट डालने निकलें। थाली बजाते बजाते जाएं, घंटी बजाते बजाते जाएं। ढोल बजाते-बजाते जाएं। उत्सव मनाएं, लोकतंत्र का उत्सव मनाएं।'
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जीत का जगाया भरोसा, विजय सभा की बात
पीएम ने भाजपा समर्थकों को यह भरोसा दिलाया कि पार्टी इस बार दिल्ली में अपना वनवास खत्म करने जा रही है। पीएम ने कहा, '8 फरवरी को शानदार विजय सभा में हम मिलेंगे, विजय निश्चित है। 25 साल बाद दिल्ली में भाजपा सरकार बनाने का यह सुनहरा अवसर आया है। सिर्फ विजय हो ऐसा नहीं, प्रचंड बहुमत वाला विजय होना चाहिए। हमारा एक ही मिशन एक ही लक्ष्य होना चाहिए आपदा को हटाएंगे भाजपा को लाएंगे।'
क्यों कही थाली घंटी वाली बात
राजनीतिक जानकारों की मानें तो पीएम की इस अपील के पीछे एक खास वजह है। दरअसल, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। अधिकतर वोटर आपको यह कहते हुए सुनाई देंगे कि 'मामला 50-50 का' है। हर पार्टी के कुछ अपने कट्टर समर्थक होते हैं तो हर हाल में उसके साथ जुड़े रहते हैं। हार जीत का खेल निर्भर करता है स्विंग वोटर्स पर। स्विंग वोटर्स ऐसे वोटर्स होते हैं जो सरतकार के कामकाज, असफलता या माहौल के हिसाब से अपनी पसंद बदल लेते हैं। स्विंग वोटर्स में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता होते हैं जो ऐसी पार्टी के लिए वोट करते हैं जो उन्हें लगता है कि जीत रही है। ऐसे ही वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए सभी दल खुद को जीतते हुए बताते हैं।
पीएम ने एक महीन दांव चलते हुए कार्यकर्ताओं को थाली-घंटी और ढोल वाला फॉर्मूला बता दिया है। जानकारों के मुताबिक पीएम ने यह अपील इसलिए की है कि ताकि जब गलियों और सड़कों पर भाजपा कार्यकर्ता-समर्थक ढोल और घंटी बजाते हुए निकलेंगे तो स्विंग वोटर्स को संदेश जाए। ऐसे वोटर्स को मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रभावित किया जा सकेगा। यदि कोई ऐसा मतदाता है जिसने अभी तक अपना आखिरी फैसला नहीं लिया है तो भाजपा की कोशिश होगी कि उसे अपने पक्ष में माहौल दिखाकर कमल का बटन दबाने को प्रेरित किया जाए।
43.9 फीसदी लोग बदलना चाहते हैं सरकार
दिल्ली के दिल में कौन? इस सवाल का जवाब महज 5 दिन बाद मिलने जा रहा है। 8 फरवरी को यह पता चल जाएगा कि अगले 5 साल तक जनता किसे सत्ता का स्वाद चखने का मौका देगी और किसे विपक्ष में बैठने का जनादेश। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच नजदीकी मुकाबले की संभावना है तो कांग्रेस भी पूरा दमखम लगाकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही है। इस बीच सी वोटर ने अपने ट्रैकर के जरिए दिल्ली की जनता का मूड भांपने की कोशिश की है।
सी वोटर ने दिल्ली के लोगों से पूछा कि क्या वे सरकार बदलना चाहते हैं? 1 फरवरी तक के ट्रैकर के हिसाब से इसके जवाब में 43.9 फीसदी लोगों ने कहा कि वह मौजूदा सरकार के कामकाज से नाराज हैं और इस बार बदलाव चाहते हैं। वहीं, 10.9 फीसदी लोगों का कहना है कि वे नाराज तो हैं लेकिन बदलना नहीं चाहते हैं। वहीं, 38.3 फीसदी लोगों का कहना है कि वे नाराज नहीं है और इसलिए बदलाव भी नहीं चाहते। बदलाव चाहने और ना चाहने वाले लोगों में कोई खास अंतर नहीं है।
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वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात यह हो सकती है कि सी वोटर के मौजूदा ट्रैकर के हिसाब से 38.3 फीसदी लोग ही उसके कामकाज से संतुष्ट दिखाई नहीं दे रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस की कोशिश है कि अंसतुष्ट लोगों को इस बार अपने पाले में किया जाए।
एक महीने में क्या आया अंतर
इससे पहले 6 जनवरी को जब एजेंसी ने ट्रैकर के नतीजे घोषित किए थे तो 46.2 फीसदी लोगों ने कहा था कि वे मौजूदाा सरकार से नाराज हैं और बदलाव चाहते हैं। वहीं, 2.7 फीसदी ने कहा था कि नाराज हैं, लेकिन एक मौका और देने के पक्ष में हैं। वहीं, 46.9 फीसदी ने कहा था कि वे नाराज नहीं है और बदलाव नहीं चाहते हैं। दिलचस्प यह है कि करीब एक महीने में नाराज और बदलाव चाहने वाले लोगों की संख्या में कुछ गिरावट आई है तो नाराज होते हुए भी बदलाव नहीं चाहने वालों में इजाफा हुआ है। वहीं बदलाव नहीं चाहने वाले लोगों में भी गिरावट आई है।
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