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ओल्ड पेंशन प्रणाली को पेंशनरों के हित में यथावत रखने की मांग
By Lokjeewan Daily - 28-08-2024

भीलवाड़ा लोकजीवन। वरिष्ठ नागरिक संस्थान राजस्थान के अध्यक्ष भंवर सेठ एवं प्रदेश महामंत्री मदन खटोड़ ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एनपीएस के विकल्प के तौर पर एकीकृत पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी ओल्ड पेंशन प्रणाली को ही पेंशनरों के  हित में यथावत रखे जाने की मांग की।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बार बार इसमें परिवर्तन करने की मंशा से कर्मचारी एवम शिक्षक वर्ग को गुमराह कर पेंशन में वर्तमान में मिलने वाली सुविधाओ को समाप्त करने का असफल प्रयास कर रही है इससे सरकार की विश्वनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगता है कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों एवं पेंशनरों की पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा देय लाभ को कम कर उनको नुकसान पहुंचा रही है वो किसी भी कल्याणकारी सरकार के लिए उचित नही कही जा सकती है।उन्होंने पेंशनर समाज के साथ बैठ कर चर्चा के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि ओ पी एस में सेवानिवृत्ति के समय अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत पेंशन स्वीकृत की जाती है जबकि यूपीएस में पिछले 1 वर्ष की औसत वेतन के आधार पर जो की जीवन पर्यंत उससे कम रहती है। ओपीएस   में एक तिहाई पेंशन राशि का रूपांतरण होकर एक मुश्त राशि मिलती है, ऐसी सुविधा यूपीएस में नहीं है। ओपीएस में फैमिली पेंशन वेतन की 30 प्रतिशत दी जाती है चाहे मृतक कर्मचारी की सेवाएं 25 वर्ष से कम ही क्यों ना हो, जबकि यूपीएस में 25 वर्ष से कम सेवा पर अनुपातिक पेंशन की गणना होगी तथा उसे पेंशन राशि की 60 प्रतिशत फैमिली पेंशन दी जायेगी। ओपीएस में ग्रेच्युटी का फार्मूला निश्चित है, जबकि यूपीएस में ऐसा कोई फार्मूला नहीं दर्शाया गया है। पेंशन देने के नाम पर ओ पी एस में वेतन से कोई कटौती नहीं होती जबकि यूपीएस में प्रति माह वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती होगी। ओपीएस में कर्मचारी की मृत्यु उपरांत 7 वर्ष तक अथवा उसकी उम्र 67 वर्ष होने तक (यदि वह जीवित रहता) जो भी पहले हो, पूरी पारिवारिक पेंशन स्वीकृत की जाती है जबकि यूपीएस में ऐसा प्रावधान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमने सरकार पर हमेशा भरोसा किया और सहयोग किया परंतु सरकार ने अभी तक भी वरिष्ठ नागरिकों का रेल्वे कंसेशन बहाल नहीं किया है और न ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन को सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया है यहां तक पिछले चार वर्षो से अटके हुए बिल नेशनल पॉलिसी ऑन ओल्डर पर्सन में आवश्यक संशोधन भी नही किया है। इससे देश का वरिष्ठ नागरिक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है।सेठ एवं खटोड़ अनुसार इस विचार मंथन में पेंशनर एवम वरिष्ठ नागरीको के प्रमुख कृष्ण गोपाल सोमानी, कैलाश चंद्र सोमानी, बसंती लाल मूंदड़ा, मूलचंद बाफना, कैलाश चंद्र पुरोहित,भ वानी शंकर शर्मा, जॉय पियरसन, पीएल जीनगर आदि उपाथित थे।

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