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बदलते मौसम से एमजीएच में व्यवस्थाएं बीमार, 35 बेड, 62 वायरल पीडि़त बच्चे भर्ती
By Lokjeewan Daily - 02-10-2024

-अतिरिक्त बेड लगा इलाज की मजबूरी
- वार्ड के विस्तार पर नहीं दे रहे ध्यान
लोकजीवन न्यूज सर्विस, भीलवाड़ा
बदलते मौसम से बढ़े मरीजों ने महात्मा गांधी अस्पताल में अव्यवस्थाएं पैदा कर दी। मरीज इतने बढ़ गए है कि उन्हें बैंचों पर इलाज देने तक को मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल के बच्चा वार्ड के हाल भी कमोबेश यहीं हो रहे है। यहां सामान्य बच्चा वार्ड में 35 बेड है लेकिन इलाज 62 का किया जा रहा है। एक बेड पर दो बच्चों व अतिरिक्त बेड लगाकर इलाज देने की मजबूरी बनी हुई है। इतना सब कुछ होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन वार्ड का विस्तार करने की ओर ध्यान नहीं दे रहा। दरअसल, बदलते मौसम में बच्चें वायरल की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच रहे है। वायरल ऐसा हो रहा है कि दवा लेने के बाद भी बच्चों का बुखार नहीं जा रहा और हर दसवें बच्चें को भर्ती करने की नौबत आ रही है। मातृ एवं शिशु इकाई में बच्चा वार्ड हाऊसफूल है। क्षमता से अधिक मरीजों को भर्ती कर इलाज देने की मजबूरी बनी हुई है। सामान्य वायरल के साथ गंभीर बीमारियों के मरीज भी इनमें शामिल है।
आउटडोर में आने वाले आधे बच्चें वायरल पीडि़त
आंकड़ो पर गौर करे तो अस्पताल की ओपीडी में परामर्श के लिए आने वाले बच्चों में 50 फीसदी बच्चें वायरल पीडि़त है। वायरल पीडि़त बच्चों की उम्र 5 से 14 साल है। 5 साल से छोटे व 14 साल से बड़े बच्चें काफी कम है।
वायरल और बैक्टिरिया जनित रोगी ज्यादा

चिकित्सकों का कहना है कि वायरल और बैक्टिरिया से होने वाले रोग कही से भी हो सकते हैं। इसलिए बाहर निकलते समय इन दिनों मास्क का प्रयोग जरूर करना चाहिए। परिजन ध्यान रखे की यदि बच्चों को बुखार है तो चिकित्सक से संपर्क करें।खाली पेरासीटामॉल खाने से आराम नहीं मिलेगा। पेरासीटामॉल तेज बुखार होने और डॉक्टर से दूरी होने पर इमरजेंसी में ही लेनी चाहिए। इसके बाद जितना जल्दी हो चिकित्सक से परामर्श करना और जांच कराना जरूरी है।
इनका कहना है
बदलते मौसम में बच्चेें बड़ी संख्या में बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो रहे है। उनके इलाज के पूरे इंतजाम है। अतिरिक्त बेड लगाकर इलाज दिया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो वार्ड का विस्तार करेंगे।
डॉ. अरुण गौड़, अधीक्षक, एमजीएच

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