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भीलवाड़ा लोकजीवन । शहर में तापमान में उतार चढाव से लोग बीमार हो रहे है। इसका खासा असर बच्चों में देखने को मिल रहा है। महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय समेत निजी अस्पतालों की ओपीडी में इन दिनों पीलिया, टायफाइड और वायरल इन्फेक्शन के केस सामने आ रहे है। बच्चों में तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, बहती नाक, गले में खराश, छींक, चकत्ते, भूख की कमी, सुस्ती, शरीर में दर्द और पीलापन जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। चिकित्सकों की माने तो दूषित खानपान, गीले कपड़ों में देर तक रहना, ठंडे पेय पदार्थों का सेवन और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना इन बीमारियों के फैलने के मुख्य कारण हैं। यह स्थिति हर उम्र के बच्चों को प्रभावित कर रही है। चिकित्सकों का कहना है कि टायफाइड दूषित पानी और बासी खाने से फैलता है। पीलिया भी दूषित खानपान से होता है। बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए ताजा खाना खिलाने, स्ट्रीट फूड और दूषित पानी से बचने की सलाह दी जा रही है। इस बार टायफाइड, पीलिया और वायरल फीवर के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बार टायफाइड का ट्रेंड भी बदल गया है। पहले टायफाइड 21 दिन में ठीक हो जाता था, लेकिन अब ठीक होने में ज्यादा दिन लग रहे हैं।
स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ा
तापमान में हो रहा उतार-चढ़ाव के चलते स्वाइन फ्लू का खतरा भी बढ़ा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार इस प्रकार के मौसम विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। स्वाइन फ्लू, इन्फ्लूएंजा और एडेनो वायरस के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं। ऐसे में सही तरह से इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर इंफ्लुएंजा वायरस के लक्षण पांच सात दिन में ठीक नहीं होने से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। किसी भी दवा विक्रेता से मनमर्जी की दवाएं लेने के बजाय चिकित्सक से ही परामर्श लें। ताकि, संक्रमित शख्स के दोनो फेफड़ों तक संंक्रमण नहीं पहुंचे। राहत की बात यह है कि स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए वेक्सीनेशन उपलब्ध है। इससे व्यक्ति एक साल तक इस रोग से सुरक्षित हो जाता है।
जनवरी पीक सीजन
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर स्वाइन फ्लू का सीजन जनवरी के दूसरे पखवाड़े में आता है। स्वाइन फ्लू का संंक्रमण एक प्रकार का फ्लू वायरस पैदा करता है। स्वाइन फ्लू मनुष्यों में गला, नाक व फेफड़ों को संक्रमित करता है। शुरुआत में उपचार नहीं लेने पर मरीज के फेफड़ों में निमोनिया बन जाता है। इससे कई बार श्वसन तंत्र फेल होने का खतरा रहता है। सरकारी अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच नि:शुल्क होती है। सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग, प्रसूता और बच्चों को रहता है। ऐसे में सर्दी, जुकाम के मरीजों को मास्क लगाने, सार्वजनिक स्थलों पर दूरी बनाए रखने, एक दूसरे का हाथ नहीं मिलाने, छींकते खांसते समय मुंह पर हाथ लगाने या मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है।
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