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नाले में बहने से गई सफाईकर्मी की जान, 12 घंटे बाद निकल पाया शव
By Lokjeewan Daily - 03-07-2025

- मुआवजे की मांग को लेकर मोर्चरी पर प्रदर्शन
- महापौर की समझााइश के बाद हो पाया पोस्टमार्टम
भीलवाड़ा लोकजीवन।  शहर में बुधवार रात शास्त्री नगर के पास बरसाती नाले में बहकर जान गंवाने वाले नगर निगम के सफाईकर्मी शिवचरण गोरण (53) की मौत को लेकर हरिजन समाज में भारी आक्रोश है। 12 घंटे के सघन रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद गुरुवार सुबह शिवचरण का शव नाले से बरामद हुआ, जिसके बाद महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी पर समाजजनों का मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गया। घटना की जानकारी मिलने पर नगर निगम महापौर राकेश पाठक मौके पर पहुंचे और समझाइश की। समझाइश के बाद मुआवजा राशि का निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भिजवाए जाने और नियमानुसार परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के आश्वासन पर समाज के लोग पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए। जानकारी के अनुसार  बुधवार शाम हुई तेज बारिश के बाद बरसाती नाले में लगभग चार से पांच फीट पानी भर गया था और बहाव बेहद तेज था। शिवचरण गोरन, जो ठेके से अपने घर लौट रहे थे, उसी उफनते नाले को पार करते समय फिसल कर बह गए।   घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और रात भर तलाश अभियान चला। अंधेरा और पानी का तेज बहाव होने के कारण शिवचरण का कोई सुराग नहीं मिल पाया। गुरुवार सुबह करीब 12 घंटे के लगातार सर्च ऑपरेशन के बाद एसडीआरएफ की टीम ने शास्त्री नगर के नाले में शिवचरण का शव फंसी हुई हालत में पाया। शव को निकालने के बाद पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया। उधर इस घटना के बाद आक्रोशित हरिजन समाज के लोग महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी पर जमा हो गए और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे नगर निगम महापौर राकेश पाठक की समझाइश के बाद मुआवजा राशि का निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भिजवाए जाने और नियमानुसार परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के आश्वासन पर समाज के लोग पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए।
लापरवाही का नतीजा और सिस्टम पर सवाल
बरसाती नाले में बहकर सफाईकर्मी शिवचरण गोरण की दर्दनाक मौत नगर निगम की घोर लापरवाही और शहरी नियोजन की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है। यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है।
हर साल बारिश में नाले उफान पर होते हैं, फिर भी खतरनाक नालों के आसपास सुरक्षा बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड या पर्याप्त रोशनी का प्रबंध क्यों नहीं किया जाता? क्या नगर निगम अपने कर्मचारियों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने में विफल रहा है? 10 घंटे बाद शव का मिलना हमारी आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली में गंभीर कमियों को दर्शाता है। आपात स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर उपकरण और प्रशिक्षित टीमें तैयार क्यों नहीं रहतीं? हरिजन समाज का प्रदर्शन जायज है। किसी की जान की कीमत सिर्फ मुआवज़े से नहीं आंकी जा सकती। घटना शहरी बुनियादी ढांचे की पोल खोलती है और प्रशासन के लिए वेक-अप कॉल है। नगर निगम को तुरंत सभी खतरनाक नालों और जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।  

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