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भीलवाड़ा लोकजीवन। 125 श्रावक एक ही पोशाक पहन, सिर पर साफे बांध बैंडबाजे की स्वरलहरियों व ढोल की थाप पर नंगे पेर खींचते भगवान का रथ। मुकुट धारण कर भगवान के चंवर ढुलाती 20 श्राविकाएं। पांच रंगों की ध्वजा लेकर रथयात्रा के आगे चलती महिलाएं और रथयात्रा के साथ भगवान का जयकारा लगाते मुनि अनुपमसागर व निर्मोहसागर महाराज के साथ चलते श्रावक-श्राविकाएं। यह नजारा था शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपाश्र्वनाथ मंदिर से अभिषेक व शांतिधारा के बाद शास्त्रीनगर मैन सेक्टर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में विराजित करने के लिए निकाली गई रथयात्रा का। भगवान को पुण्यार्जक राजेंद्र-विरेंद्र छाबड़ा परिवार ने रथ में विराजमान किया और श्रावक रथ को मुख्य मार्गों से खींचते हुए शास्त्रीनगर दिगंबर जैन मंदिर लाए।
इससे पहले सुबह हाउसिंग बोर्ड शास्त्रीनगर मंदिर से भगवान शांतिनाथ की रथ यात्रा रवाना हुई तो उत्साहित श्रावक-श्राविकाएं व युवा नाचते व जयकारे लगाते हुए साथ चल रहे थे। साथ ही देव शास्त्र और गुरु भी एक साथ यात्रा में निकले। चार श्रावकों ने जिनवाणी माता को पालकी में विराजमान कर प्रभावना की, वहीं 20 महिला श्राविकाओं ने मुकुट धारण कर भगवान के चंवर ढ़लाए। महिलाएं जैन धर्म की पांच रंगों की ध्वजाएं लेकर रथयात्रा में साथ चल रही थी। सबसे आगे 27 महिलाएं लाल रंग की, 27 महिलाएं केसरिया रंग की, 27 महिलाएं सफेद रंग की, 27 हरे रंग की और 27 महिलाएं नीले रंग की ध्वजाएं लेकर चल रही थी। रथ यात्रा के शास्त्रीनगर मंदिर में प्रवेश पर ध्वजारोहण किया गया। इसका सौभाग्य शांतिदेवी, दिलीप, प्रवीण, नवीन चौधरी परिवार को मिला। उसके बाद मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की वेदी पर ही 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ को विराजमान किया गया।
स्वर्ण पांडुशिला पर छाबड़ा परिवार ने किया प्रथम अभिषेक
शास्त्रीनगर दिगंबर जैन मंदिर में स्वर्ण पांडुशिला पर स्वर्ण कलश से प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य राजेंद्र, वीरेंद्र छाबड़ा परिवार ने प्राप्त किया। वहीं शांतिधारा का सौभाग्य भी छाबड़ा परिवार को ही मिला। दूसरी तरफ से शांतिधारा करने का सौभाग्य अरुण जैन बैंगलोर निवासी परिवार ने प्राप्त किया।मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान पर शांतिधारा का सौभाग्य शांतिदेवी, मंजू देवी, दिलीप, प्रवीण, नवीन चौधरी परिवार ने प्राप्त किया। इससे पूर्व 20 श्रावक परिवारों ने श्री शांतिनाथ भगवान का 1008 ऋद्धि मंत्रों से भगवान का अभिषेक किया। हर श्रावक परिवार ने मुनि अनुपमसागर एवं मुनि निर्मोहसागर महाराज के मुखारबिंद से 100–100 मंत्रों का दोनों तरफ से अभिषेक किया।
संगीत की धुन पर हुआ शांतिनाथ महामंडल विधान
शास्त्रीनगर दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण चौधरी के अनुसार सात परिवारों को भगवान को सिंहासन पर विराजमान करने का सौभाग्य मिला। वहीं 15 श्रावकों ने आभामंडल लगाने का पुण्यार्जन किया। दोपहर में मुनि अनुपमसागर एवं मुनि निर्मोहसागर महाराज के सानिध्य और संगीत की धुन एवं इंद्र-इंद्राणियों की मौजूदगी में शांतिनाथ महामंडल विधान का पूजन हुआ। पंडित आशुतोष शास्त्री ने कमलेश जैन एंड पार्टी की संगीतमय धुनों पर पूजन विधि संपन्न कराई।
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