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भीलवाड़ा लोकजीवन। टीम जय भोले के तत्वावधान में सोमवार को लेबर कॉलोनी से निकली विशाल कांवड़ यात्रा के दौरान शहर मे आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। सुबह 8.15 बजे नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, लेबर कॉलोनी से शुरू हुई इस यात्रा में सैकड़ों की संख्या में शिव भक्त उमड़ पड़े, जिन्होंने जयकारों और भजनों से पूरे वातावरण को शिवमय बना दिया। यात्रा के शुभारंभ से पूर्व संतों की अगुवाई में, सभी 2500 कावड़ों का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। यह दृश्य अत्यंत ही मनोहारी था, जहां वैदिक मंत्रोच्चार और फूलों की सुगंध से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा था। पूजन के उपरांत, भक्तों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने कंधों पर कावड़ उठाकर हरणी महादेव की ओर प्रस्थान किया, जहां सभी शिव भक्तों द्वारा बाबा का जलाभिषेक किया जाएगा। कावड़ यात्रा की अगुवाई में भगवा ध्वज के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी शान से लहरा रहा था, जो भक्ति और राष्ट्रीयता के अनूठे संगम को दर्शाता है।
सजीव झांकिया बनी आकर्षण का केन्द्र
यात्रा प्रभारी धनंजय बाकोलिया ने बताया कि इस वर्ष की कावड़ यात्रा में कई विशेष आकर्षण शामिल किए गए थे, जिन्होंने भक्तों और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पुणे (भारत का प्रथम तृतीय पंक्ति बैंड) से आए शिखंडी ढोल-ताशा पथक की ऊर्जावान प्रस्तुति ने यात्रा में एक अलग ही जोश भर दिया। वहीं, हिसार (हरियाणा) के सुनील और अनिल तिलकधारी आर्ट ग्रुप द्वारा प्रस्तुत नन्दी बैल, कांतारा, महाकाल शंकर, अघोरी महाकाल, अघोरी एवं माता महाकाली की सजीव झांकियां भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। उज्जैन और मंदसौर के ढोल, ताशा, डमरू वादन की गूंज और गुरुकृपा बैंड की संगीतमय प्रस्तुति ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया।
पुष्प वर्षा से स्वागत और जल से अभिषेक
कावड़ यात्रा के संयोजक और पार्षद जितेंद्र सिंह राजावत ने बताया कि भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर से पांसल चौराहा तक लाल कारपेट बिछाया गया था, ताकि उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो। यात्रा का शहर में जगह-जगह ड्रोन एवं जेसीबी द्वारा भव्य पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो देवलोक से फूलों की वर्षा हो रही हो। यह दृश्य अत्यंत ही विहंगम था और इसने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से गंगाजल मंगवाया गया था, जो इस यात्रा की पवित्रता को और बढ़ा रहा था। इसके साथ ही, त्रिवेणी संगम और पंचतरणी (बाबा अमरनाथ) के पवित्र जल से भी बाबा का जलाभिषेक किया जाएगा, जिससे भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी।
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