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- परिजनों ने पुलिस पर लगाया मारपीट का आरोप
- 50 लाख मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग
भीलवाड़ा/राजसमंद लोकजीवन चोरी का माल खरीदने के आरोप में कांकरोली पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए कांकरोली थाने ले जाए गए एक सर्राफा व्यापारी की थाने में अचानक तबीयत बिगडऩे के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना से आक्रोशित परिजनों और गांव से पहुंचे स्वर्णकार समाज ने सोमवार को जिला चिकित्सालय के बाहर जमकर हंगामा किया और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने मृतक के परिवार के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे या सरकारी नौकरी की मांग कलक्टर को ज्ञापन देकर की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने न्यायिक मजिस्ट्रेट से जांच के आदेश दे दिए हैं।
मृतक की पहचान गाडरमाला (भोपालगढ़) निवासी खूबचंद सोनी (45) के रूप में हुई है, जो अपनी सोने-चांदी की दुकान चलाते थे। उनके बड़े भाई कैलाश सोनी ने बताया कि रविवार दोपहर करीब 12.30 बजे कांकरोली पुलिस के कुछ जवान एक निजी वाहन में खूबचंद को पूछताछ के लिए थाने लेकर कांकरोली गए थे। कैलाश ने बताया कि पुलिस ने हमें चोरी का माल खरीदने के आरोप में खूबचंद को ले जाने की बात कही थी। हमें यकीन था कि ऐसा कुछ नहीं है। हमने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज तक दिखाने की बात कही।
थाने में बिगड़ी तबीयत, मौत का खुलासा
शाम करीब 7 से 8 बजे के बीच खूबचंद के परिजनों को सूचना मिली कि उनकी तबीयत बिगड़ गई है और उन्हें तत्काल जिला चिकित्सालय ले जाया गया है। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस खबर से परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान खूबचंद के साथ मारपीट की, जिससे उनकी मौत हुई। मृतक के भाई किशन सोनी ने बताया कि जब मैं थाने में खूबचंद से मिला तो उसने कहा था कि उसने कोई चोरी का सामान नहीं खरीदा। उसने पुलिस को अपनी दुकान के सीसीटीवी फुटेज दिखाने की बात भी कही थी, जिससे सच्चाई सामने आ सके। बड़ा भाई कैलाश पुलिस के साथ फुटेज लेने दुकान जा ही रहा था कि हमें खूबचंद की मौत की खबर मिली।
न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन
सोमवार सुबह, यह खबर पूरे स्वर्णकार समाज में फैल गई। बड़ी संख्या में समाज के लोग और खूबचंद के परिजन जिला अस्पताल के बाहर जमा हो गए। उन्होंने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी मुआवजे और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे। उन्होंने जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें 50 लाख रुपये का मुआवजा या परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई है।
पुलिस अधीक्षक का बयान
इस गंभीर मामले पर राजसमंद की पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने कहा कि हमने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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