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निलंबन के सदमे से हेड कांस्टेबल की मौत, परिजनों ने की 5 करोड़ और नौकरी की मांग
By Lokjeewan Daily - 12-08-2025

- खुबचंद की मौत के बाद किया था निलंबित
- तीन पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर बहाल करने की मांग
राजसमंद. कांकरोली थाने के एक पुलिसकर्मी पूरन सिंह की की निलंबन के आदेश के सदमे से मौत हो गई। मौत के बाद  परिजन और समाज के लोगों ने राजसमंद के आर.के. जिला चिकित्सालय में भारी आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने सरकार से 5 करोड़ का मुआवजा और पूरन सिंह के दोनों बच्चों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है। इसके साथ ही, उन्होंने निलंबन का सामना कर रहे अन्य तीन पुलिसकर्मियों को भी तुरंत ड्यूटी पर बहाल करने की अपील की है। परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर था कि जब  सर्राफा व्यापारी को पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद 8 लाख और संविदा पर नौकरी मिल सकती है, तो कानून की रक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है। उनका कहना है कि पुलिसकर्मी तो अपने कर्तव्य का पालन कर रहे थे, फिर उन्हें ही क्यों बलि का बकरा बनाया जा रहा है। यह घटना पुलिसकर्मियों के मनोबल पर गहरा आघात करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि क्या कानूनी प्रक्रिया का पालन करने वाले पुलिसकर्मियों को उनके ही सिस्टम में सुरक्षा और सम्मान नहीं मिल सकता।
चोरी की घटना से जुड़ा है यह पूरा मामला
मामला कांकरोली थाना क्षेत्र में 10 दिन पहले हुई एक चोरी की घटना से जुड़ा है। इस चोरी की जाँच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम  का गठन किया गया था, जिसमें हेड कांस्टेबल पूरन सिंह, हेड कांस्टेबल शक्ति सिंह, हेड कांस्टेबल जगदीश और कांस्टेबल दुर्गेश शामिल थे। चोर से पूछताछ के बाद, पुलिस को पता चला कि उसने चोरी की ज्वेलरी भीलवाड़ा के गाडरमाला (भोपालगढ़) निवासी सर्राफा व्यापारी खूबचंद सोनी को बेची थी। रविवार को, चारों पुलिसकर्मी खूबचंद सोनी को पूछताछ के लिए कांकरोली थाने लेकर आए। थाने में पूछताछ के दौरान, सोनी की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत आर.के. जिला चिकित्सालय ले जाया गया। दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
सर्राफा व्यापारियों पर बनाया समझौते का दबाव
खूबचंद सोनी की मौत की खबर फैलते ही, भीलवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर के सर्राफा व्यापारी सोमवार को आर.के. जिला चिकित्सालय के बाहर जमा हो गए। उन्होंने पुलिस पर खूबचंद सोनी के साथ मारपीट और यातना (टॉर्चर) देने का आरोप लगाते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल पैदा कर दिया। दिन भर चले विरोध प्रदर्शन के बाद, जिला कलेक्टर अरुण कुमार हंसीजा और पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने मृतक सर्राफा व्यापारी के परिजनों और व्यापारियों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया। लंबी बातचीत के बाद, एक समझौता हुआ, जिसमें खूबचंद सोनी के परिजनों को सामाजिक सहयोग से 8 लाख की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने पर सहमति बनी। साथ ही, यह भी तय हुआ कि इस घटना के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
निलंबन का आदेश और पूरणसिंह की मौत
इस समझौते के बाद, पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने सोमवार शाम को चार पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के आदेश जारी किए। इन पुलिसकर्मियों में हेड कांस्टेबल पूरन सिंह, हेड कांस्टेबल शक्ति सिंह, हेड कांस्टेबल जगदीश और कांस्टेबल दुर्गेश शामिल थे। आदेश मिलते ही, पूरन सिंह इस सदमे को सहन नहीं कर पाए। निलंबन की खबर सुनते ही उनके सीने में तेज दर्द शुरू हो गया। उन्हें तुरंत एक निजी चिकित्सालय में ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
जांच अधिकारी ओम सिंह को छोड़ा
इस पूरी कार्रवाई में, टीम के जांच अधिकारी ओम सिंह को छोड़ दिया गया, जबकि बाकी चारों पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया। पूरन सिंह की मौत ने पूरे मामले में एक नया मोड़ ला दिया है और पुलिस विभाग के भीतर और बाहर दोनों जगह सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिसकर्मियों के परिजन और समाज के लोग अब यह मांग कर रहे हैं कि पूरन सिंह के परिवार को भी वही सम्मान और आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए जो खूबचंद सोनी के परिवार को दी गई है। उनका कहना है कि कानून के पालन में लगे एक पुलिसकर्मी की जान की कीमत इतनी कम नहीं हो सकती। 

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