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कांकरोली द्वारकाधीश प्रभु परवर्तिनी एकादशी पर चांदी के बारहा द्वारी में बिराजे
By Lokjeewan Daily - 04-09-2025

राजसमंद। कांकरोली स्थित पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारकाधीश प्रभु परवर्तिनी एकादशी के अवसर पर तृतीय चांदी बारहा द्वारी में विराजित हुए। मंदिर अधिकारी राजकुमार गौरवा ने बताया कि पीठाधीश्वर गोस्वामी डॉक्टर वागीश कुमार महाराज की आज्ञा एवं गोस्वामी युवराज  वैदांतकुमार और युवराज गोस्वामी सिद्धांत कुमार के अनुगृह पर आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की परिवर्तिनी (दान) एकादशी। उत्सव  ब्रजलंकारजी(1641) बालकृष्णजी के पंचम लाल एवं  पुरूषोत्तम लेखवाले (1741) का उत्सव पर प्रभु को विशेष भोग धराया गया। प्रात: श्रृंगार में प्रभु श्री के मस्तक पे हीरा को मुकुट। कोयल रंग की नीची कांछली। ऊपरी केसूमल की नाल।अतलस की सूथन।लाल पीताम्बर दो टूक को। सफेद भांतवार ठाडे वस्त्र। हीरा के आभरण। माला चरणारविन्द प्रभु को धराये गये। राजभोग दर्शन करीब सवा बारह बजे खुले। एकादशी होने के कारण वैष्णव जनो और श्रद्धालुओं की अपार भीड़ दर्शन में उमड़ पड़ी। उत्थापन के दर्शन सवा चार बजे खुले। प्रभु द्वारकाधीश को चांदी की बारहा द्वारी में बिराजित कराया। चांदी बारहा द्वारी में प्रभु का स्वरूप बड़ा मनमोहक लग रहा था।दान एकादशी पर प्रभु को दही माखण मिश्री को भोग लगाएं जाता है। चांदी बारहा द्वारी के दर्शन उत्थापन, भोग, आरती तक दर्शन में झांकी सजी-धजी रहती है। इसके बाद शयन में चांदी की बारहा द्वारी हटा देते हैं और शयन मे प्रभु अपने कक्ष में बैठ कर प्रभु शयन दर्शन खुलते हैं। जलझुलनी ग्यारस पर राम रेवाड़ी का अपना परम्परागत भक्ति और श्रद्धा का अनुठा केन्द्र राजसमंद झील में स्थानीय और बाहरी श्रृद्धालुओं और दर्शानार्थियों की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। गोस्वामी संजीव कुमार महाराज ने  आरती की सेवा अर्पित की।

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