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आजादी के लिए डीएनटी समाज के लाखों लोग 7 नवंबर को दिल्ली-मुंबई हाइवे पर जुटेंगे
By Lokjeewan Daily - 16-09-2025

भीलवाड़ा। देश की आजादी के 78 साल बाद भी विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू जातियों (डीएनटी) को उनके अधिकार नहीं मिल पाने के विरोध में अब निर्णायक आंदोलन का शंखनाद हो चुका है। राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी संघर्ष समिति ने आजादी का महासंग्राम नामक एक बड़े आंदोलन की घोषणा की है, जिसकी जानकारी देते हुए समिति के संरक्षक और समाज के प्रमुख चेहरे रतनलाल कालबेलिया और राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लालसिंह रायका ने बताया कि 7 नवंबर 2025 को राजस्थान के पाली जिले में दिल्ली-मुंबई हाइवे स्थित बालराई गांव में लाखों लोग जुटेंगे।
अधिकार यात्रा से होगा जन जागरण
आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए अधिकार यात्रा का आयोजन किया जा रहा है, जो 16 सितंबर से 23 सितंबर तक विभिन्न जिलों से गुजरेगी। यात्रा की शुरुआत 16 सितंबर को भीलवाड़ा के हरणी महादेव से होगी. यह यात्रा भीलवाड़ा के अलावा ब्यावर, सोजत-पाली, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा-प्रतापगढ़ और राजसमंद जिलों को कवर करेगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य घर-घर जाकर लोगों को 7 नवंबर के आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है। कालबेलिया ने सभी डीएनटी समुदायों से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनें और अपनी पहचान व सम्मान के लिए एकजुट हों।
ये हैं आंदोलन की प्रमुख मांगें
प्रेस वार्ता में, समिति ने 11 सूत्रीय मांगों का एक चार्टर ऑफ डिमांड्स भी जारी किया। इसमें सबसे प्रमुख मांग यह है।  दंत सूची में शामिल जातियों के उपनामों को सूचीबद्ध करें कुछ जाती जो डीएनटी में शामिल है और वह इस डेंट की सूची से बच गई है उनको भी डीएनटी सूची में शामिल किया जाए।  डीएनटी बच्चों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक मुफ्त शिक्षा मिले और 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10त्न आरक्षण लागू किया जाए। रोजगार और स्थायी निवास: हुनरमंद कारीगरों को रोजगार दिया जाए और सभी डीएनटी परिवारों को स्थायी निवास के लिए भूखंड आवंटित किए जाएं। जातिगत जनगणना में इन समुदायों को विशेष पहचान दी जाए। घुमंतू जातियों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कानून बने। इस आंदोलन में रतनलाल कालबेलिया के साथ लालाजी राइका भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। 

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