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- सांवरलाल सुखवाल की मौत का मामला
- छह घंटे प्रदर्शन के बाद बनी सहमति
भीलवाड़ा। शहर में बायोस्कॉप के पास एक युवक संावरलाल की संदिग्ध मौत ने पूरे भीलवाड़ा को उबाल पर ला दिया है। मृतक के परिजनों और समाज के लोगों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए महात्मा गांधी अस्पताल से लेकर कलेक्ट्रेट तक जमकर विरोध प्रदर्शन किया। दिनभर चले हंगामे और तनाव के बाद, देर शाम को प्रशासन को झुकना पड़ा। आनन-फानन में दो पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया और मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता के साथ-साथ सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई। मंगलवार की सुबह महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर बड़ी संख्या में परिजन और सुखवाल समाज के लोग इक_ा हो गए। उनका गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने अस्पताल परिसर में ही धरना शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि सावरलाल की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। इस दौरान स्थिति को संभालने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।
पोस्टमार्टम से इनकार, मांगों पर अड़े परिजन
अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। उन्होंने साफ कह दिया कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होगी और परिवार को मदद नहीं मिलेगी, तब तक वे शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे। इस विरोध प्रदर्शन में महिलाएं, युवा और समाज के वरिष्ठजन भी बड़ी संख्या में शामिल थे, जो लगातार नारेबाजी कर रहे थे।
कलेक्ट्रेट तक पहुंचा विरोध
दोपहर तक जब कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो आक्रोशित भीड़ कलेक्ट्रेट की ओर बढ़ गई। वहां भी उन्होंने जोरदार नारेबाजी और धरना-प्रदर्शन किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने समाज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की।
तीन मांगों पर बनी सहमति, प्रशासन ने मानी हार
कई घंटों की लंबी बातचीत के बाद, प्रशासन और समाज के प्रतिनिधियों के बीच तीन अहम बिंदुओं पर सहमति बनी। सबसे पहले, प्रतापनगर थाने के दीवान रमेश चौधरी और कांस्टेबल अविनाश को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर किया गया। दूसरा, मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और तीसरा, मृतक के छोटे भाई को संविदा पर सरकारी नौकरी दी जाएगी। प्रशासन के इस निर्णय के बाद ही परिजनों ने पोस्टमार्टम के लिए हामी भरी। हालांकि, अब सबकी निगाहें इस मामले में होने वाली विभागीय जांच पर टिकी हैं, जिससे यह साफ हो पाएगा कि आखिर सावरलाल की मौत के पीछे का सच क्या है।
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