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डिजिटल आई स्ट्रेन बढ़ा रहा मोतियाबिंद का खतरा, हर साल कराएं आंखों की जांच- डॉ. रजनी गौड़
By Lokjeewan Daily - 09-10-2025

स्क्रीन टाइम कम करना और नींद पूरी लेना जरूरी
-  तेज धूप और आँखें रगडऩा भी खतरनाक
भीलवाड़ा लोकजीवन। विश्व दृष्टि दिवस हर साल अक्टूबर माह के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य आमजन को नेत्र रोग व सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। इस दिन अस्पतालों में जागरूकता कार्यक्रम होते है बावजूद इसके नेत्र रोग के मामले हर साल बढ़ते जा रहे है। इसे लेकर लोकजीवन रिपोर्टर ने आरवीआरएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध एमजीएच नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. रजनी गौड़ से विशेष बातचीत की। डॉ. गौड़ ने बताया कि नेत्र रोगों से दूर रहने के लिए पांच आदतों को दिनचर्या में शामिल करना जरूरी है। इनकी जानकारी ना होने से  जाने-अनजाने में आंखों की रोशनी तेजी से कमजोर हो रही हैं।  इनमें सबसे पहला बिंदू है डिजिटल आई स्ट्रेन। इसमें  आजकल बड़ा हो या बच्चा, हर कोई घंटों मोबाइल, लैपटॉप और टीवी की स्क्रीन पर समय बिता रहा है। यह आदत रेटिना पर अतिरिक्त दबाव डालती है। इससे आंखों में सूखापन, धुंधलापन और लगातार सिरदर्द की समस्या पैदा होती है, जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। डॉ. गौड़ ने  20-20-20  नियम अपनाने की सलाह दी है। इसके लिए हर 20 मिनट बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर रखी किसी वस्तु को देखें।
खुजली चलने पर आंखे रगडऩा खतरनाक
डॉ. गौड़ ने बताया कि थकान या खुजली महसूस होने पर तुरंत आंखें रगडऩा बहुत हानिकारक है। ऐसा करने से आंख की बाहरी और संवेदनशील परत कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है। रगडऩे से आँखों में संक्रमण और पहले से मौजूद दृष्टि संबंधी दिक्कतें गंभीर हो सकती हैं।
धूप में  सनग्लास लगाकर निकलना जरूरी
तीसरा बिंदू धूप में बिना सनग्लास के निकलना इसमें सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें न केवल त्वचा के लिए, बल्कि आंखों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। बिना  प्रोटेक्शन वाले सनग्लास पहने लगातार तेज धूप में रहने से मोतियाबिंद और रेटिना को नुकसान पहुँचने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।  नींद की कमी और देर रात तक जागना
इसमें आंखों को पर्याप्त आराम देने के लिए पूरी नींद लेना जरूरी है। नींद पूरी न होने से आँखों में सूजन, डार्क सर्कल्स और सूखापन जैसी समस्याएं होती हैं। लंबे समय तक ऐसा करने से अंाखों की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। एक वयस्क को रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
साल में एक बार जांच कराना जरूरी
पांचवा बिंदू कई बार दृष्टि धीरे-धीरे कमजोर होती है और हमें पता भी नहीं चलता, जैसा कि काला पानी (काला मोतिया) रोग में होता है। इस रोग का पता शुरुआती चरण में न चले तो यह स्थायी अंधापन ला सकता है। इसलिए, साल में कम से कम एक बार नेत्र परीक्षण करवाना जरूरी है, विशेषकर उन लोगों को जिन्हें डायबिटीज है। 

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