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स्वदेशी दीयों का क्रेज: दीपावली की जगमग को घरों तक पहुंचाने में जुटे कुम्हार
By Lokjeewan Daily - 14-10-2025

भीलवाड़ा लोकजीवन। वस्त्रनगरी  में दीपावली के आगमन से पहले ही बाजारों में रौनक छा गई है। रोशनी के इस महापर्व के लिए शहरवासी स्वदेशी उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं, जिसका सीधा फायदा वर्षों से मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों को मिल रहा है। मांग में आई जबरदस्त तेजी से उनके चेहरे पर खुशी की चमक साफ दिखाई दे रही है। कुम्हार कारीगर अपनी चाक पर मिट्टी को आकार देकर बड़ी संख्या में दीये तैयार कर रहे है। स्थानीय कुम्हार दिन-रात काम करके दीपावली के लिए दीयों की मांग पूरी करने में लगे हैं। चाइनीज झालरों और सजावटी सामानों के मुकाबले मिट्टी के दीयों की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है, जिससे कुम्हारों को इस व्यवसाय में नया जीवन मिला है। मिट्टी के दीये न केवल हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक हैं, बल्कि वोकल फॉर लोकल  और मेक इन इंडिया की भावना को भी मजबूत करते हैं। एक स्थानीय कुम्हार ने बताया कि पिछले कुछ सालों में चाइनीज माल के कारण काम कम हो गया था, लेकिन इस बार ग्राहक मिट्टी के दीये ही मांग रहे हैं। इससे हमारी मेहनत सफल हो रही है और पूरे परिवार को रोजग़ार मिला है। बाजार में अब दीयों के खरीदार आने लगे हैं। वे पहले से ही बड़ी संख्या में दीये खरीदकर अपने घरों और प्रतिष्ठानों को सजाने की तैयारी कर रहे हैं। कुम्हारों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मांग और भी बढ़ेगी। भीलवाड़ा के बाजारों में साधारण दीयों के साथ-साथ आकर्षक, रंग-बिरंगे और डिजायनर दीये भी उपलब्ध हैं, जो ग्राहकों को खूब भा रहे हैं। यह दीपावली कुम्हार समुदाय के लिए खुशहाली लेकर आई है, जिनकी कला और मेहनत से भीलवाड़ा की हर गली-मोहल्ला रोशनी से जगमगाएगा।

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