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जैसलमेर जैसा मौत का जाल भीलवाड़ा में भी, ट्रेवल्स में जानलेवा खामियां
By Lokjeewan Daily - 15-10-2025

  100 से अधिक बसे गुजरती है भीलवाड़ा से
- बसों में इमरजेंसी गेट पर लगा मिलता है ताला
भीलवाड़ा। जैसलमेर में स्लीपर बस में 20 यात्रियों के जिंदा जलने की घटना ने भीलवाड़ा से गुजरने वाली और संचालित होने वाली 100 से अधिक ट्रेवल्स बसों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भीलवाड़ा कपड़ा नगरी होने के कारण यहाँ से गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य राज्यों के लिए प्रतिदिन 100 से ज्यादा प्राइवेट स्लीपर व लग्जरी बसें गुजरती हैं। दैनिक लोकजीवन रिपोर्टर की पड़ताल में सामने आया है कि इन बसों में भी जैसलमेर जैसी ही  जानलेवा खामियां मौजूद हैं, जो कभी भी भीषण हादसे का सबब बन सकती हैं।
इमरजेंसी गेट सिर्फ नाम का
सूत्रों के अनुसार, भीलवाड़ा बस स्टैंड और आसपास से गुजरने वाली अधिकांश ट्रेवल्स बसों में सबसे बड़ी समस्या इमरजेंसी गेट लॉक होने की है। बस संचालक सीट बढ़ाने या सामान रखने के लिए आपातकालीन दरवाजों को स्थाई रूप से अंदर से बंद करवा देते हैं या उन पर भारी ताले लगा देते हैं। जैसलमेर की बस में भी यही हुआ था, जिससे यात्री बाहर नहीं निकल पाए।
शॉर्ट सर्किट का खतरा
अधिकांश ट्रेवल्स बसों में अवैध रूप से एसी, म्यूजिक सिस्टम और बिजली के अन्य उपकरण लगाए जाते हैं। घटिया वायरिंग और ओवरलोडिंग के कारण कभी भी शॉर्ट सर्किट हो सकता है। यात्रियों को भी डिग्गी से बिस्तर और अन्य ज्वलनशील सामग्री ले जाने की अनुमति दी जाती है, जो खतरे को कई गुना बढ़ा देती है।
आरटीओ और पुलिस खामोश क्यों?
भीलवाड़ा परिवहन विभाग  और यातायात पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये बसें दिन रात सडक़ों पर दौड़ रही हैं, लेकिन कभी भी गंभीरता से बसों की जांच नहीं की जाती। फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है।
प्रशासन, नींद से जागो!
जैसलमेर का हादसा एक कड़वी चेतावनी है। भीलवाड़ा से प्रतिदिन सैकड़ों लोग इन बसों से सफर करते हैं। यदि प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से सभी ट्रेवल्स बसों की युद्धस्तर पर जांच नहीं की और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो कपड़ा नगरी में भी कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यह आग सिर्फ एक बस की नहीं, भीलवाड़ा प्रशासन की लापरवाही पर सवाल है।   

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