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20 जिंदगियों की बलि क्यों? ये आग बस में नहीं, सिस्टम में लगी
By Lokjeewan Daily - 15-10-2025

✍🏻लोकेश सोनी✍🏻

भीलवाड़ा लोकजीवन। जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर जिस वीभत्स तरीके से 20 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हुई, वह केवल एक सडक़ हादसा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की आपराधिक लापरवाही का जलता हुआ दस्तावेज़ है। यह हादसा चीख-चीखकर कह रहा है कि हमने अपनी यात्राओं को  मौत का सफर बना दिया है। यह दुर्घटना इसलिए दिल दहला देने वाली है क्योंकि बस में शॉर्ट सर्किट के बाद आग लगी और आपातकालीन (इमरजेंसी) गेट लॉक था। यानी, यात्रियों को बचने का कोई मौका ही नहीं दिया गया। सवाल यह है कि आरटीओ और पुलिस प्रशासन क्या सिर्फ दिखावे की जांच और कागजी घोड़े दौड़ाने के लिए हैं? क्या उन्हें बस के परमिट देते समय यह नहीं दिखता कि इमरजेंसी गेट पर  यमराज का ताला  लटका है? परिवहन विभाग हर दुर्घटना के बाद जांच कमेटी  बिठाता है,  कठोर कार्रवाई  की बात करता है, लेकिन चंद दिनों बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट दिए जाते हैं, लेकिन क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता है, जिसके लिए मोटी रकम ली जाती है? 20 लोगों की मौत के बाद मुआवजे का मरहम लगाना आसान है, लेकिन क्या हम अगली दुर्घटना का इंतजार करेंगे? यह आग केवल एक बस तक सीमित नहीं है। यह आग पूरे सिस्टम में लगी है, जो पैसों के लालच में यात्रियों की जान दांव पर लगा देता है। जरूरत है कि सिर्फ शॉर्ट सर्किट की जांच न हो, बल्कि उस  लापरवाह सर्किट की जांच हो, जो दिल्ली से लेकर जैसलमेर तक इस गैर-जिम्मेदार तंत्र को चला रहा है। सरकार को तुरंत नींद से जागना होगा, वरना अगली बस में हममें से कोई भी हो सकता है।

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