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आस्था का महापर्व छठ शुरू, 'नहाय खाय' के साथ 36 घंटे के महाव्रत का आगाज
By Lokjeewan Daily - 25-10-2025

भीलवाड़ा लोकजीवन।  कार्तिक मास में मनाए जाने वाले लोक आस्था के सबसे बड़े महापर्व छठ का आज शनिवार 'नहाय खाय' के साथ आगाज हो गया है। भीलवाड़ा शहर में बड़ी संख्या में निवास कर रहे बिहार और पूर्वांचलवासी समाज में इस पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह है और तैयारियां जोरों पर हैं। चार दिवसीय यह महापर्व 25 अक्टूबर को शुरू होकर 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होगा। इस कठिन व्रत के दौरान व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं, जिसे परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। पर्व की शुरुआत आज 'नहाय खाय' के साथ हुई। इस दिन व्रती महिलाओं ने स्नान करने के बाद भगवान की पूजा-अर्चना की। इसके बाद कद्दू (घीया) की सब्जी, चने की दाल और चावल का शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लिया। पर्व के दौरान साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। छठ महापर्व में 26 अक्टूबर (रविवार): खरना पूजन: इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास रखेंगी और शाम को साफ बर्तन तथा चूल्हे का उपयोग कर गुड़ की खीर बनाएंगी। छठी मैया को भोग लगाने के बाद व्रती महिलाएं इसी खीर और रोटी का सेवन कर अगले 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगी।
27 अक्टूबर को घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा। व्रती महिलाएं डाला (बांस की टोकरी) में ठेकुआ, नारियल, फल, मिठाई सहित अन्य प्रसाद रखकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी और मां छठी की पूजा-अर्चना करेंगी।  28 अक्टूबर को पर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले ही घाटों पर पहुंचकर भगवान भास्कर के दर्शन का इंतजार करेंगी और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करेंगी। छठ पूजा को हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है, जिसमें कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है, जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ और चावल के लड्डू का उपयोग किया जाता है, जो शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं। शहर में छठ घाटों की साफ-सफाई और सजावट का काम भी अब अंतिम चरण में है।

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