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भीलवाड़ा। पूरे चार महीने की लंबी योग निद्रा के बाद शनिवार को कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर भगवान श्रीहरि विष्णु जाग गए। इसके साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यों पर लगा चातुर्मास का विराम भी समाप्त हो गया है। देवउठनी ग्यारस यानी एकादशी होने के कारण आज से एक बार फिर विवाह और अन्य शुभ कार्यों का श्रीगणेश हो गया है। इस वर्ष दो दिन तक एकादशी तिथि का संयोग बनने के कारण शनिवार को ही सडक़ों पर बैंड, बाजा और बारातें धूमधाम से निकलती नजर आईं। चार माह बाद शुभ मुहूर्त शुरू होते ही विवाह की तैयारियां जोरों पर थीं। शनिवार को शहर के तमाम विवाह स्थल, होटल और गार्डन सजे-धजे नजर आए। चारों ओर रंगीन रोशनी, फूलों की सजावट और शहनाइयों की मधुर धुन सुनाई दी। वर और वधू पक्ष के लोगों में भारी उत्साह देखने को मिला। खासकर, उन परिवारों में खुशी का माहौल था, जिनकी शादी चातुर्मास के कारण टल गई थी। पुजारी और ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल नवंबर माह में विवाह के लिए 14 शुभ मुहूर्त हैं। देवउठनी एकादशी एक अबूझ सावा माना जाता है, जिसका अर्थ है कि बिना पंचांग देखे इस दिन विवाह किया जा सकता है। इसी विशेष मुहूर्त के चलते शनिवार को बड़ी संख्या में विवाह संपन्न हुए। पंडित आशुतोष शर्मा ने बताया कि भगवान विष्णु के जागने से सृष्टि में शुभ ऊर्जा का संचार होता है। एकादशी का व्रत आज रखा जा रहा है। इसके बाद तुलसी-शालिग्राम विवाह की परंपरा भी निभाई जाएगी। नवंबर में 14 दिन के शुभ मुहूर्त हैं, जिसके बाद दिसंबर में भी कई सावे रहेंगे। यह मांगलिक कार्यों के लिए एक बड़ा सीजन लेकर आया है।" बाजारों में भी विवाह से जुड़ी खरीदारी के लिए खासी रौनक देखने को मिली, जिससे व्यापारी वर्ग भी उत्साहित है। कुल मिलाकर, देवउठनी एकादशी ने शहर के जीवन में धार्मिक आस्था, उत्सव और खुशियों का एक नया दौर शुरू कर दिया है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर में 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखें विवाह के लिए सर्वाधिक शुभ हैं। भगवान विष्णु के जागने से अब सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो चुका है, जो इन मांगलिक कार्यों को निर्विघ्न संपन्न कराने में सहायक होगा। चातुर्मास की समाप्ति से न सिर्फ विवाह, बल्कि गृह प्रवेश, नए कार्यों की शुरुआत और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की भी शुरुआत हो गई है। बाजार में भी शादी-विवाह से जुड़ी खरीदारी के लिए भीड़ उमडऩे लगी है, जिससे व्यापारियों के चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई है। हालांकि, पंडितों ने यह भी बताया है कि नवंबर के बाद दिसंबर में केवल तीन शुभ मुहूर्त (4, 5 और 6 दिसंबर) ही होंगे, जिसके बाद खरमास और शुक्र के अस्त होने से मांगलिक कार्यों पर एक बार फिर विराम लग जाएगा।
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