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भीलवाड़ा। राजस्थान में ट्रेवल्स बसों में आग लगने की हालिया घटनाओं के बाद परिवहन विभाग ने सुरक्षा को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। इसी के विरोध में बस ऑनर्स एसोसिएशन ने 1 नवंबर (नवंबर) से सभी ट्रेवल्स बसों का संचालन बंद करने का फैसला किया है, जिससे भीलवाड़ा और आसपास के इलाकों में लंबी दूरी की यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस निर्णय के बाद गुरुवार को ही संचालकों ने लगभग 2000 बुकिंग रद्द कर दीं, जिससे लंबी दूरी की यात्रा करने वालों में अफरा-तफरी मच गई है। सबसे ज्यादा असर गुजरात और महाराष्ट्र रूट पर पड़ा है। भीलवाड़ा, आसींद, गंगापुर और आसपास के इलाकों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री गुजरात और महाराष्ट्र की ओर यात्रा करते हैं। मुंबई, पुणे, सूरत, बड़ौदा और अहमदाबाद के लिए करीब 70 से 80 ट्रेवल्स बसें रोजाना संचालित होती हैं, जिनमें लगभग 2500 से 3000 यात्री सफर करते हैं। बस संचालन रुकने से इन यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। करीब 2000 ऑनलाइन टिकटें रद्द हो गई हैं।
दीपावली बाद लौटने वालों पर सबसे बड़ा संकट
गुजरात और महाराष्ट्र में काम करने वाले भीलवाड़ा जिले के सैकड़ों परिवार हर साल दीपावली मनाने अपने गांव लौटते हैं। वहां व्यापारिक प्रतिष्ठान त्योहार के बाद लगभग 8 दिन बंद रहते हैं। अब जब वापसी का समय आया है, तब ट्रेवल्स बसों की हड़ताल से इन प्रवासी परिवारों की योजनाएं बिगड़ गई हैं। कई की टिकटें रद्द हो चुकी हैं, जिससे उन्हें अब ट्रेन या निजी वाहनों से सफर करने की मजबूरी होगी।
आर.टी.ओ. की सख्ती से परेशान ऑपरेटर्स
बस ऑपरेटर्स की हड़ताल का मुख्य कारण जोधपुर-जैसलमेर हाईवे पर हुए बस हादसे के बाद सरकार के कड़े सुरक्षा निर्देशों पर आर.टी.ओ. (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) का लगातार कड़ा एक्शन है। बसों में खामियां मिलने पर लगातार सी? की कार्रवाई की जा रही है, जिससे परेशान होकर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने यह कदम उठाया है।
व्यापार पर भी पड़ा गहरा असर
ट्रेवल्स बसें केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि पार्सल और छोटे-मोटे व्यापारिक माल के परिवहन का भी प्रमुख साधन हैं। सूरत से साडिय़ांँ, मुंबई व गुजरात से फल, दिल्ली और जयपुर से इलेक्ट्रॉनिक सामान, तथा भीलवाड़ा से कपड़ा जैसी वस्तुएं प्रतिदिन ट्रेवल्स के जरिए भेजी जाती हैं। बस संचालन बंद होने से इन वस्तुओं की 12 से 18 घंटे में होने वाली त्वरित डिलीवरी प्रभावित होगी, जिससे व्यापारी वर्ग को माल मिलने में देरी होगी और स्थानीय बाजारों की गतिविधियां भी धीमी पड़ेंगी।
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