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ममता का संताप, कहां खो गई इंसानियत?
By Lokjeewan Daily - 03-11-2025


- त्वरित टिप्पणी-
- लोकेश सोनी -
भीलवाड़ा लोकजीवन। सालरिया गांव में पानी की टंकी के पास मिला नवजात का शव सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि हमारे समाज के माथे पर लगा एक कलंक है। यह घटना सिर्फ एक शिशु की हत्या नहीं, बल्कि ममता के संताप और मानवीय मूल्यों के पतन का भयावह उदाहरण है। जिस देश में संतान प्राप्ति के लिए लाखों मन्नतें मांगी जाती हैं, उसी धरा पर एक मां ने अपने ही जिगर के टुकड़े को जन्म के बाद कडक़ड़ाती ठंड और पानी की बेरहम गहराई में मरने के लिए छोड़ दिया। यह सोचकर ही रूह कांप जाती है कि एक कोमल शिशु जिसने अभी दुनिया की रोशनी भी ठीक से नहीं देखी थी, उसे गोबर और रोड़ी के साथ फेंक दिया गया।  सवाल सिर्फ उस अज्ञात माता से नहीं है, जिसने अपने नवजात को त्यागा। सवाल उस पूरे सामाजिक तंत्र से है जो ऐसी परिस्थितियों को जन्म देता है: क्या यह कार्य किसी अवांछित गर्भ या लोक-लाज के डर से किया गया? क्या हमारा समाज इतना कठोर है कि वह एक मां को अपने बच्चे को स्वीकारने का साहस नहीं दे पाया? क्या गांवों में सुरक्षित प्रसव और शिशु कल्याण के लिए बनाए गए तंत्र मजबूत हैं? क्या ऐसी माताओं के लिए कोई गुमनाम सहारा या काउंसलिंग की व्यवस्था है?क्या इस कृत्य के पीछे बच्चे का लिंग या बच्चे के पिता की अस्वीकृति जिम्मेदार है? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। जब मां ही जीवन की हत्यारी बन जाए, तो फिर समाज में सुरक्षा और नैतिकता की उम्मीद किससे की जाए? यह समय है कि पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर सिर्फ पोस्टमार्टम और जांच तक सीमित न रहें, बल्कि एक मजबूत सिस्टम तैयार करें। पुलिस को जल्द से जल्द उस निर्मम मां और इस अपराध में शामिल किसी भी अन्य व्यक्ति को पकडक़र कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई ऐसी जघन्य गलती करने की हिम्मत न करे। इसी के साथ गांवों और ढाणियों में गर्भावस्था की देखभाल और बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। हर जिले में पालनाघर योजना को मजबूत किया जाए, ताकि जो माताएं बच्चे को पालने में असमर्थ हैं, वे उसे गोपनीय तरीके से सुरक्षित छोड़ सकें, न कि उसे मरने के लिए फेंक दें। जब तक हम अपनी नैतिक जिम्मेदारी नहीं समझेंगे और मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि नहीं रखेंगे, तब तक ऐसे मासूमों की चीखें पानी की गहराइयों में दफन होती रहेंगी। यह नवजात उस सिस्टम की ओर एक प्रश्नचिह्न छोडक़र गया है, जिसे अब नींद से जागना ही होगा। 

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